Stock Market

RBI रेपो रेट कटौती 2025: सस्ती हो सकती हैं लोन की किस्तें, घट सकते हैं बैंक डिपॉजिट रेट

RBI रेपो रेट कटौती 2025 भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) आने वाले वित्त वर्ष 2025-26 में ब्याज दरों में बड़ी राहत दे सकता है। एक नई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, यदि महंगाई का स्तर इसी तरह नियंत्रण में बना रहता है तो RBI रेपो रेट में 125 से 150 बेसिस प्वाइंट यानी 1.25% से 1.5% तक की कटौती कर सकता है।

CPI महंगाई 67 महीने के न्यूनतम स्तर पर

देश में खुदरा महंगाई (CPI) मार्च 2025 में गिरकर 3.34% पर आ गई है, जो बीते साढ़े पांच साल में सबसे कम है। यह गिरावट संकेत देती है कि आने वाले महीनों में मौद्रिक नीतियों में नरमी संभव है। यदि महंगाई दबाव नहीं बढ़ता तो RBI जून और अगस्त में फिर 0.75% और फिर वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में और 0.5% की कटौती कर सकता है।

रेपो रेट 5% तक जा सकता है

अगर हालात अनुकूल बने रहते हैं तो मार्च 2026 तक रेपो रेट घटकर 5.0% से 5.25% के बीच आ सकता है, जो कि RBI के माने हुए “न्यूट्रल” स्तर 5.65% से भी नीचे होगा। इसका सीधा असर लोन की ब्याज दरों पर पड़ेगा और आम आदमी को ईएमआई में राहत मिल सकती है।https://bazaarbits.com/is-hafte-bajar-ki-disha-10-karak/

बैंक डिपॉजिट पर ब्याज घटने की आशंका

ब्याज दरों में कटौती का असर बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग अकाउंट्स पर भी पड़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, डिपॉजिट रेट्स में 1% तक की गिरावट आ सकती है। जबकि लोन की मांग तेज बनी रहेगी, जिससे बैंकिंग सेक्टर में क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात बिगड़ सकता है और बैंकों की कमाई (NIM) पर दबाव बढ़ेगा।

RBI की नीतिगत गतिविधियाँ

RBI ने अप्रैल और मई 2025 में कुल ₹2.45 लाख करोड़ के ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) किए हैं, जिससे लिक्विडिटी सिस्टम में बनी हुई है। इसके अलावा FY25 में RBI द्वारा केंद्र सरकार को ₹2.18 लाख करोड़ का डिविडेंड दिया जा सकता है।

डॉलर-रुपया और ग्लोबल फैक्टर्स

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2025 के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले ₹85 से ₹87 के बीच रह सकता है। अमेरिकी महंगाई में गिरावट और टैरिफ प्रभावों के कारण डॉलर में कमजोरी संभव है। अमेरिकी फेडरल रिज़र्व भी फिलहाल ब्याज दरों को स्थिर रखने के पक्ष में दिखाई दे रहा है।

निष्कर्ष

SBI की इस रिपोर्ट से साफ है कि देश में महंगाई नियंत्रण में है और आर्थिक हालात स्थिर हैं। ऐसे में RBI ब्याज दरों में आक्रामक कटौती की दिशा में आगे बढ़ सकता है। इससे लोन लेना सस्ता होगा, लेकिन निवेशकों को डिपॉजिट पर कम रिटर्न मिलने की आशंका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *