NSE Algo Trading Rules 2025: रिटेल निवेशकों के लिए लागू हुए नए नियम

NSE Algo Trading Rules 2025 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग को लेकर रिटेल निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक नया ढांचा तैयार किया है। यह कदम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा दिए गए नवीनतम दिशा-निर्देशों के अनुपालन में उठाया गया है। सोमवार को जारी किए गए NSE के सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि अब से सभी ब्रोकर, एल्गो सेवा प्रदाता और निवेशक—जो किसी भी प्रकार के ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं—को इन नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।https://bazaarbits.com/ather-energy-ipo-listing-2025-details/
इस नई व्यवस्था के तहत, स्टॉक ब्रोकर अब अपने ग्राहकों को API (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) के माध्यम से ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान कर सकेंगे, लेकिन इसके लिए निवेशक को एक स्थायी IP एड्रेस उपलब्ध कराना होगा। यही IP API से लिंक होकर ट्रेडिंग एक्सेस का जरिया बनेगा।
NSE ने एल्गो ट्रेडिंग के लिए प्रति सेकंड अधिकतम 10 ऑर्डर की सीमा तय की है। हालांकि, एक्सचेंज भविष्य में इस लिमिट को आवश्यकतानुसार संशोधित कर सकता है। सभी API कनेक्शनों को प्रत्येक ट्रेडिंग सत्र की शुरुआत से पहले अनिवार्य रूप से लॉग आउट करना होगा, जिससे सिस्टम की सुरक्षा और पारदर्शिता बनी रहे।
सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि ब्रोकर अपने ग्राहकों के लिए अलग-अलग ऑर्डर लिमिट तय कर सकते हैं, बशर्ते वह NSE द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से कम हो। यदि कोई निवेशक प्रति सेकंड 10 से अधिक ऑर्डर देने की योजना बना रहा है, तो उसे पहले अपना एल्गोरिदम उस संबंधित एक्सचेंज के साथ पंजीकृत करना होगा जहां वह इसका इस्तेमाल करना चाहता है।
इसके अतिरिक्त, सभी एल्गो प्रोवाइडर्स को NSE के साथ रजिस्ट्रेशन और सूचीबद्ध होना अनिवार्य होगा। यदि कोई स्टॉकब्रोकर किसी रजिस्टर्ड एल्गो प्रोवाइडर के साथ काम करता है, तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि वह प्रोवाइडर किसी तरह के नियम उल्लंघन, धोखाधड़ी या सुरक्षा चूक में शामिल न हो। ब्रोकर की ज़िम्मेदारी होगी कि वह एल्गो पार्टनर की उचित जांच-पड़ताल करे।
इस नए ढांचे से एल्गो ट्रेडिंग को लेकर पारदर्शिता बढ़ेगी और खुदरा निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सकेगी। NSE का उद्देश्य तकनीकी विकास को प्रोत्साहित करते हुए उसे नियंत्रण और नियमन के तहत रखना है।