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‘ऑपरेशन सिंदूर’ की गूंज पाकिस्तान के शेयर बाजार तक पहुंची, KSE-100 में भारी गिरावट

Pakistan Stock Market Crash 2025 after Operation Sindoor – KSE-100 Index falls sharply

ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में किए गए सटीक सैन्य हमले — ‘ऑपरेशन सिंदूर’ — का असर सिर्फ सीमा पार नहीं, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर भी साफ देखने को मिला। 7 मई को कराची स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक KSE-100 दिन के कारोबार के दौरान 5.7% तक फिसल गया, जो कि 2021 के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट मानी जा रही है।

बाजार में हड़कंप क्यों मचा?
कारोबार की शुरुआत से ही निवेशकों में घबराहट नजर आई। कुछ ही घंटों में इंडेक्स ने लगभग 5.7% की गिरावट दर्ज कर ली। अप्रैल 2025 के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक KSE-100 करीब 6% तक टूट चुका है — जो अगस्त 2023 के बाद सबसे खराब मासिक प्रदर्शन है। जबकि 2024 में इस इंडेक्स ने करीब 86% की तेज़ी दिखाई थी, इस साल की शुरुआत से अब तक इसमें लगभग 1.1% की गिरावट आ चुकी है।https://bazaarbits.com/gold-price-2025-is-gold-heading-towards-4000/

निवेशकों का आत्मविश्वास क्यों डगमगाया?
भारत की कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहराने की आशंका ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी। राजनीतिक और सैन्य अस्थिरता की संभावना के चलते घरेलू और विदेशी निवेशक सतर्क हो गए हैं। पाकिस्तान सरकार द्वारा 48 घंटे के लिए एयरस्पेस बंद किए जाने से लॉजिस्टिक सप्लाई और व्यापार गतिविधियों पर असर पड़ सकता है, जिससे बाजार में बेचवाली हावी हो गई।

पिछले साल सितारे पर था पाकिस्तान का बाजार
2024 में पाकिस्तान का शेयर बाजार दुनियाभर के निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। IMF की बेलआउट डील, मुद्रास्फीति में गिरावट और क्रेडिट रेटिंग में सुधार जैसे कारकों ने बाजार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया था। ब्लैकरॉक जैसी वैश्विक निवेश कंपनियों ने पाकिस्तान में भारी निवेश किया। लेकिन 2025 में हालात पूरी तरह पलटते नजर आ रहे हैं।

भारत के बाजार पर असर मामूली
भारत की बात करें तो सैन्य कार्रवाई के बावजूद BSE Sensex और NSE Nifty जैसे सूचकांकों पर असर सीमित ही रहा। शुरुआती कारोबार में थोड़ी बहुत गिरावट जरूर दिखी, लेकिन जल्द ही बाजार स्थिर हो गया। इससे यह संकेत मिलता है कि निवेशकों को भारत की रणनीतिक स्पष्टता और स्थिरता पर भरोसा बना हुआ है।

निष्कर्ष:
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने केवल आतंक के ठिकानों को ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के निवेश माहौल को भी गहरे झटके दिए हैं। KSE-100 की गिरावट दर्शाती है कि निवेशक पहले से ही सतर्क थे और जैसे ही सैन्य तनाव ने दस्तक दी, उन्होंने जोखिम से बचने के लिए कदम खींच लिए। आने वाले दिनों में यह देखा जाना बाकी है कि क्या पाकिस्तान की आर्थिक मशीनरी इस दबाव को संभाल पाएगी या नहीं।

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