ITR-6 Form 2025: कंपनियों के लिए टैक्स नियम हुए सरल और पारदर्शी
ITR-6 Form 2025 सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म ITR-6 को अधिसूचित कर दिया है। यह फॉर्म खासतौर पर कंपनियों के लिए होता है और इस बार इसमें कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं, जिनका मकसद हाल के कानूनी बदलावों को शामिल करते हुए टैक्स रिपोर्टिंग को और अधिक स्पष्ट और सरल बनाना है।

कैपिटल गेन्स के लिए दो अलग-अलग समय अवधि
ITR-6 में सबसे प्रमुख बदलावों में से एक यह है कि अब पूंजी लाभ (Capital Gains) को दो हिस्सों में बांटा गया है—पहला 23 जुलाई 2024 तक और दूसरा उसके बाद का। यह परिवर्तन वित्त अधिनियम 2024 के अनुसार किया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि कंपनियां वित्तीय वर्ष के मध्य में लागू हुए नए कैपिटल गेन टैक्स नियमों के आधार पर अपनी गणना सही तरीके से कर सकें।
शेयर बायबैक पर पूंजी हानि का समायोजन
अब कंपनियों को शेयर बायबैक से हुई पूंजी हानि (Capital Loss) को क्लेम करने की अनुमति भी मिल गई है। लेकिन इसके लिए यह शर्त रखी गई है कि संबंधित डिविडेंड इनकम को 1 अक्टूबर 2024 के बाद “अन्य स्रोतों से आय” के अंतर्गत दिखाना होगा। टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से बायबैक से जुड़े लेन-देन में ज्यादा स्पष्टता आएगी और टैक्स सिस्टम की पारदर्शिता बढ़ेगी।https://bazaarbits.com/abb-india-q4-result-profit-at-474-crore-shares-may-rise-further/
गैर-निवासी क्रूज ऑपरेटरों के लिए अनुमानित टैक्स प्रावधान
धारा 44BBC के तहत अब उन विदेशी कंपनियों को भी कवर किया गया है, जो भारत में क्रूज शिप सेवाएं देती हैं। इस नई व्यवस्था के अनुसार, ऐसे ऑपरेटरों की पैसेंजर कैरिज रसीदों का 20% हिस्सा टैक्स योग्य मुनाफा माना जाएगा। यह कदम टैक्स प्रबंधन को सरल और व्यवहारिक बनाने की दिशा में एक प्रयास है।
हीरा व्यापार में ट्रांसफर प्राइसिंग के लिए नया नियम
विदेशी कंपनियों के लिए, जो विशेष क्षेत्रों में कच्चे हीरे का व्यापार करती हैं, एक नया ‘Safe Harbour’ नियम लागू किया गया है। इसके तहत उन्हें अपने सकल राजस्व पर कम से कम 4% का मुनाफा दिखाना होगा। यह नियम 1 अप्रैल 2024 से प्रभावी हो चुका है और इसका उद्देश्य डायमंड सेक्टर में ट्रांसफर प्राइसिंग को आसान बनाना है।
TDS रिपोर्टिंग में बढ़ेगी सख्ती
ITR-6 में Schedule-TDS के अंतर्गत अब प्रत्येक TDS एंट्री के लिए सेक्शन कोड का खुलासा करना जरूरी कर दिया गया है। साथ ही, होम लोन पर ली गई ब्याज कटौती को धारा 24(b) के तहत स्पष्ट रूप से रिपोर्ट करना होगा। ये बदलाव सरकार के टैक्स कलेक्शन और मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम है।