China US Tariff Cut Impact on Indian Market: अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ युद्ध में अब शांति के संकेत मिल रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने चीन से आने वाले सामानों पर टैरिफ को 145% से घटाकर केवल 10% कर दिया है। यह बदलाव चीन की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक माना जा रहा है और इससे वहां की बाजारों में सुधार की संभावना बन रही है।
वर्तमान में भारतीय शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुका है और इसका प्रमुख कारण है एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार खरीदारी। अप्रैल महीने से अब तक भारत में लगभग 2 बिलियन डॉलर की एफआईआई फंडिंग आई है, जिससे शेयर बाजार में तेज़ी बनी हुई है। लेकिन अब जब चीन फिर से वैश्विक निवेशकों के रडार पर आ रहा है, तो यह भारत के लिए एक चेतावनी संकेत हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में मुनाफावसूली का दौर शुरू हो सकता है।https://bazaarbits.com/bse-stock-split-record-date-dividend-2025/
एफआईआई रुख बदल सकते हैं
चीन-अमेरिका के बीच टैरिफ में कमी वैश्विक निवेश पर असर डाल सकती है। CLSA जैसी प्रमुख ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि अगर चीन और अमेरिका के संबंध सुधरते हैं, तो विदेशी निवेशक चीन की ओर वापसी कर सकते हैं, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी बाहर निकल सकती है। CLSA ने कहा कि वैश्विक स्तर पर ट्रेड वॉर की चिंता ने भारत को आकर्षक बाजार बना दिया था, लेकिन अब यह स्थिति बदल सकती है।
हर कोई चीन की वापसी पर आश्वस्त नहीं
हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में दीर्घकालिक निवेश की संभावना अब भी कम है। Omniscience Capital के सीईओ डॉ. विकास गुप्ता का कहना है कि पिछले एक दशक में चीन की GDP तो बढ़ी है, लेकिन कंपनियों ने निवेशकों को अपेक्षित लाभ नहीं दिया है। MSCI China ETF (MCHI) इसका उदाहरण है, जो 2011 से अब तक लगभग स्थिर रहा है।
डॉ. गुप्ता ने चीन की आंतरिक समस्याओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश का ऋण-से-GDP अनुपात बहुत अधिक है, जनसंख्या में गिरावट हो रही है और बैंकिंग सिस्टम भी कमजोर स्थिति में है। इन वजहों से टैरिफ कम होने के बावजूद एफआईआई चीन में लंबी अवधि का निवेश करने से हिचक सकते हैं।
भारत की ग्रोथ स्टोरी अभी भी मजबूत
दूसरी ओर भारत की अर्थव्यवस्था में स्थायित्व और ग्रोथ की कहानी अब भी कायम है। स्थिर रुपया, मजबूत शेयर बाजार और विविध सेक्टरों की मजबूती ने भारत को एफआईआई के लिए पसंदीदा बाजार बना दिया है। फार्मा और आईटी जैसे सेक्टरों में भारत को चीन से कम प्रतिस्पर्धा मिलती है, जिससे निवेशकों को भरोसा बना हुआ है।
विश्लेषकों का मानना है कि भले ही चीन में अल्पकालिक निवेश की संभावना दिख रही हो, लेकिन भारत को दीर्घकाल में नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।