Crypto Market 2025: भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लोगों की दिलचस्पी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। एक समय था जब इसकी वैधानिक स्थिति को लेकर भ्रम था, लेकिन अब हालात कुछ हद तक साफ हो गए हैं। वर्ष 2025 तक आते-आते भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने, बेचने और रखने की अनुमति दे दी है, हालांकि इसे कानूनी मुद्रा यानी लीगल टेंडर नहीं माना गया है। इसका मतलब यह है कि आप बिटकॉइन या अन्य डिजिटल करेंसी से कोई सामान नहीं खरीद सकते, लेकिन इसे निवेश के एक साधन के रूप में जरूर इस्तेमाल कर सकते हैं।
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सरकार ने इसपर टैक्स भी निर्धारित कर दिया है — 30% का निश्चित टैक्स प्रॉफिट पर और हर ट्रांजैक्शन पर 1% TDS लगाया गया है। हालांकि नियमों की तस्वीर अब भी पूरी तरह साफ नहीं है। क्रिप्टो को लेकर एक विस्तृत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की प्रतीक्षा जारी है। अनुमान है कि सरकार जल्द ही एक नया विधेयक लेकर आ सकती है, जो इस सेक्टर को अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा प्रदान करेगा।
युवा निवेशकों की पसंद बन रहा है क्रिप्टो
क्रिप्टोकरेंसी का आकर्षण खासकर युवाओं और नए निवेशकों में तेजी से बढ़ रहा है। अब यह सिर्फ जल्दी मुनाफा कमाने का जरिया नहीं रह गया है, बल्कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन का हिस्सा बनता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 1.5 करोड़ लोग सक्रिय रूप से क्रिप्टो ट्रेडिंग कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि छोटे शहरों और गैर-मेट्रो क्षेत्रों के युवा भी तेजी से इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
आगे की राह: अवसरों से भरपूर, लेकिन चुनौतियाँ बरकरार
इस डिजिटल एसेट क्लास में संभावनाएं अपार हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, NFTs, टोकनाइजेशन और Web3 जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से प्रयोग हो रहे हैं। भारत की क्रिप्टो इंडस्ट्री की कुल वैल्यू 2025 तक करीब $9.7 बिलियन तक पहुँच सकती है, ऐसा अनुमान लगाया गया है।
इसके साथ ही सरकार भी डिजिटल दिशा में कदम बढ़ा रही है। डिजिटल रुपया (CBDC) और इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले रेगुलेटेड सैंडबॉक्स जैसे कदम देश को तकनीकी रूप से मज़बूत बना सकते हैं।
हालांकि समस्याएँ भी कम नहीं हैं। एक तरफ भारी टैक्सेशन और स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी है, तो दूसरी ओर युवा निवेशकों में वित्तीय जानकारी की कमी और सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है। इसके अलावा, क्रिप्टो को भुगतान के माध्यम के रूप में अभी तक मान्यता नहीं मिली है, जिससे इसका उपयोग सीमित रह जाता है।
आगे क्या?
आशा की जा रही है कि आने वाले वर्षों में सरकार स्पष्ट और निवेशक हितैषी नीतियाँ लाएगी। टैक्स ढांचे को सरल बनाना, धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करना और युवाओं को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना क्रिप्टो सेक्टर के लिए अहम हो सकता है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सभी पक्ष संतुलित रूप से आगे बढ़ें, तो भारत का डिजिटल एसेट मार्केट 2035 तक $15 बिलियन से भी पार जा सकता है।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।