Dollar News: अमेरिकी डॉलर में गुरुवार को कमजोरी देखी गई, जब निवेशकों ने फेडरल रिज़र्व की अगली बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को और मज़बूत किया। न्यूयॉर्क फेडरल रिज़र्व के अध्यक्ष जॉन विलियम्स ने संकेत दिया कि सितंबर में होने वाली बैठक में दरों पर निर्णय खुला रहेगा। उन्होंने कहा कि “हर बैठक अहम है” और अब आर्थिक जोखिम “ज़्यादा संतुलित” होते नज़र आ रहे हैं।
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डॉलर इंडेक्स लगातार दो दिन की गिरावट के बाद 98.135 के स्तर पर स्थिर रहा, जबकि यूरो 0.07% मज़बूत होकर 1.1646 डॉलर तक पहुंच गया। मुद्रा बाज़ार में यह हलचल इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों से डॉलर निवेशकों के बीच दबाव में था।
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ट्रंप का दबाव और राजनीतिक हलचल
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से फेडरल रिज़र्व पर नरमी दिखाने और ब्याज दरें घटाने के लिए दबाव डालते रहे हैं। ताज़ा रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ट्रंप फेड गवर्नर लीसा कुक को हटाकर अपने करीबी व्यक्ति को नियुक्त करना चाहते हैं, ताकि नीति-निर्धारण में राजनीतिक प्रभाव और बढ़ सके। इस खबर से डॉलर पर अतिरिक्त दबाव देखा गया और निवेशकों की धारणा और कमजोर हुई।
बाज़ार की उम्मीदें
फ्यूचर्स बाज़ार में ट्रेडर्स अब मानकर चल रहे हैं कि 16-17 सितंबर को होने वाली फेड की बैठक में 25 बेसिस पॉइंट यानी चौथाई प्रतिशत की कटौती की संभावना लगभग 84% है। साल के अंत तक कुल मिलाकर लगभग 56 बेसिस पॉइंट की दरों में कमी का अनुमान लगाया जा रहा है।
ब्याज दरों में संभावित नरमी की उम्मीद का असर अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स पर भी दिखा। दो-वर्षीय ट्रेज़री यील्ड मई 1 के बाद से सबसे निचले स्तर तक खिसक गई। यह संकेत है कि निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं और आगामी नीतिगत फैसलों को लेकर सतर्क हैं।
आने वाला आर्थिक डेटा
अब निवेशकों की नज़रें दो बड़े संकेतकों पर टिकी हैं—
- PCE प्राइस इंडेक्स (फेड का पसंदीदा मुद्रास्फीति सूचकांक), और
- नॉन-फार्म पेरोल्स रिपोर्ट, जो रोज़गार की स्थिति पर प्रकाश डालेगी।
इन आँकड़ों से यह तय होगा कि फेडरल रिज़र्व अपनी मौद्रिक नीति में कितना आक्रामक रुख अपनाता है और डॉलर की दिशा आने वाले हफ्तों में कैसी रहेगी।
अंतरराष्ट्रीय हलचल
इसी बीच जापान के मुख्य व्यापार वार्ताकार र्योसेई अकाज़ावा ने प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए वाशिंगटन की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भी बाज़ार की अनिश्चितता को और बढ़ा सकता है, क्योंकि अमेरिका-जापान व्यापार वार्ता पहले ही सुस्त गति से आगे बढ़ रही है।
कुल मिलाकर, फेडरल रिज़र्व की नीतियों को लेकर बढ़ी अटकलों ने अमेरिकी डॉलर को दबाव में डाल दिया है। अब सभी की निगाहें आने वाले आंकड़ों और सितंबर की बैठक पर टिकी हैं, जहाँ दर कटौती का फ़ैसला वैश्विक बाज़ारों की दिशा तय करेगा।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।