Epack Prefab IPO: इपैक प्रीफैब में सिर्फ 73 शेयरों से कर सकते हैं निवेश, जानिए पूरी डिटेल्स

EPrefab IPO: इपैक प्रीफैब ने अपने आगामी आईपीओ का प्राइस बैंड 194 रुपये से 204 रुपये प्रति शेयर तय कर दिया है। इस आईपीओ की सब्सक्रिप्शन प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू होगी और 26 सितंबर को समाप्त होगी। कुल आईपीओ का आकार लगभग 494 से 504 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जिसमें 300 करोड़ […]

EPrefab IPO: इपैक प्रीफैब ने अपने आगामी आईपीओ का प्राइस बैंड 194 रुपये से 204 रुपये प्रति शेयर तय कर दिया है। इस आईपीओ की सब्सक्रिप्शन प्रक्रिया 24 सितंबर से शुरू होगी और 26 सितंबर को समाप्त होगी। कुल आईपीओ का आकार लगभग 494 से 504 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जिसमें 300 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू और मौजूदा शेयरधारकों द्वारा 1 करोड़ शेयरों की बिक्री शामिल है।

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फंड का इस्तेमाल कहाँ होगा

कंपनी ने स्पष्ट किया है कि इस इश्यू से मिलने वाली राशि का उपयोग उत्पादन क्षमता बढ़ाने और कर्ज कम करने में किया जाएगा। राजस्थान में एक नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने के लिए लगभग 102.9 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश स्थित फैक्ट्री के विस्तार पर 58.1 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा करीब 70 करोड़ रुपये की राशि उधार चुकाने में लगाई जाएगी।

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कंपनी का कारोबार और मौजूदगी

Epack Prefab Technologies प्री-इंजीनियर्ड स्टील बिल्डिंग्स और EPS पैकेजिंग सेगमेंट में काम करती है। कंपनी की स्टील बिल्डिंग्स बनाने की मौजूदा क्षमता 1,33,922 टन प्रतिवर्ष है। निर्माण और पैकेजिंग दोनों क्षेत्रों में कंपनी लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।

वित्तीय प्रदर्शन में तेजी

वित्तीय वर्ष 2023-24 में कंपनी का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। इसकी कुल आय 904.9 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,133.9 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इसी अवधि में शुद्ध लाभ 42.9 करोड़ रुपये से बढ़कर 59.3 करोड़ रुपये दर्ज किया गया। आंकड़े बताते हैं कि कंपनी की आय और मुनाफा दोनों ही लगातार बढ़ रहे हैं।

आईपीओ में निवेशकों की हिस्सेदारी

इस पब्लिक इश्यू में निवेशकों के लिए न्यूनतम बोली 73 इक्विटी शेयरों की होगी। आवंटन संरचना के तहत 50 प्रतिशत हिस्सेदारी योग्य संस्थागत निवेशकों (QIBs) के लिए, 15 प्रतिशत नॉन-इंस्टिट्यूशनल बिडर्स के लिए और 35 प्रतिशत रिटेल निवेशकों के लिए निर्धारित की गई है।

विश्लेषकों की राय

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह आईपीओ कंपनी के विस्तार और वित्तीय मजबूती के लिहाज से अहम साबित हो सकता है। नई यूनिट और फैक्ट्री विस्तार के बाद कंपनी की उत्पादन क्षमता में इजाफा होगा, जबकि कर्ज घटने से इसकी वित्तीय स्थिति और मजबूत होगी। मजबूत बैलेंस शीट और बढ़ते मुनाफे को देखते हुए निवेशक इस इश्यू को लेकर उत्साहित हो सकते हैं।

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