Foreign Exchange Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर, पहली बार 700 अरब डॉलर के पार

Foreign Exchange Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 12 सितंबर को समाप्त सप्ताह में देश का फॉरेक्स रिज़र्व 4.698 अरब डॉलर बढ़कर 702.966 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह पहली बार है जब भारतीय भंडार 700 अरब डॉलर की सीमा को पार कर गया […]

Foreign Exchange Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर

Foreign Exchange Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 12 सितंबर को समाप्त सप्ताह में देश का फॉरेक्स रिज़र्व 4.698 अरब डॉलर बढ़कर 702.966 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह पहली बार है जब भारतीय भंडार 700 अरब डॉलर की सीमा को पार कर गया है।

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आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह उपलब्धि भारत की वित्तीय मजबूती और वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव के बीच स्थिरता को दर्शाती है। मौजूदा भंडार के आधार पर भारत अब लगभग 11.5 महीनों के आयात खर्च को आसानी से कवर कर सकता है।

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विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में सबसे बड़ी बढ़त

कुल भंडार में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets) का सबसे बड़ा हिस्सा है। इस खंड में 2.537 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज हुई है और यह बढ़कर 587.014 अरब डॉलर तक पहुंच गया। चूंकि ये संपत्तियां विभिन्न मुद्राओं जैसे यूरो, पाउंड स्टर्लिंग और येन में रखी जाती हैं, इसलिए उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव से भंडार पर सीधा असर पड़ता है। इस सप्ताह जो उछाल देखने को मिला, उसका मुख्य कारण इन्हीं वैश्विक मुद्राओं के मूल्य में बदलाव बताया जा रहा है।

रुपये पर दबाव बरकरार

भले ही फॉरेक्स रिज़र्व रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया हो, लेकिन भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले दबाव में है। अमेरिकी सरकार द्वारा 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद विदेशी मुद्रा बाज़ार में रुपया कमजोर हुआ और 12 सितंबर के अंत तक एक डॉलर की कीमत 88.12 रुपये रही। यह स्तर व्यापारियों और आयातकों दोनों के लिए चिंता का विषय है।

क्यों महत्वपूर्ण है इतना बड़ा भंडार?

विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की आर्थिक सेहत का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। इससे न केवल आयात-निर्यात की लागत को संभालने में मदद मिलती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा भी मजबूत होता है। बड़ा भंडार होने पर देश वैश्विक अस्थिरता, जैसे कच्चे तेल की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी या विदेशी पूंजी के बहिर्वाह, का बेहतर तरीके से सामना कर सकता है।

विशेषज्ञों की राय

आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि अगले कुछ महीनों में वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों और व्यापारिक तनाव की दिशा यह तय करेगी कि भंडार किस ओर बढ़ेगा। फिलहाल भारत की स्थिति मजबूत मानी जा रही है, लेकिन रुपये की कमजोरी को लेकर सतर्क रहना जरूरी है।

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