Gensol Engineering: इस्तीफों और नियामकीय कार्रवाई के बीच शेयरों में लौटी रफ्तारबीते कुछ समय से विवादों में घिरी जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह कुछ सकारात्मक नजर आ रही है। कंपनी के शेयर पिछले तीन कारोबारी सत्रों से जबरदस्त तेजी के साथ ऊपर चढ़ रहे हैं। बुधवार को ट्रेडिंग के दौरान कंपनी के स्टॉक्स ने 5% का अपर सर्किट छूते हुए 62.44 रुपये का स्तर हासिल किया।
इस तेजी के पीछे दो अहम घटनाएं मानी जा रही हैं। पहली है कंपनी के दो प्रमुख पदाधिकारियों – प्रबंध निदेशक अनमोल सिंह जग्गी और होलटाइम डायरेक्टर पुनीत सिंह जग्गी – का पद छोड़ना। दोनों ने सेबी द्वारा जारी अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है। इससे निवेशकों के बीच यह संदेश गया है कि अब कंपनी में पारदर्शिता और सुधार की संभावना है, जिसके कारण शेयरों में विश्वास की वापसी देखी जा रही है।https://bazaarbits.com/china-us-tariff-cut-impact-on-india-market/
दूसरी बड़ी वजह सरकारी कंपनी IREDA (इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) द्वारा जेनसोल इंजीनियरिंग के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही शुरू करना है। IREDA ने कंपनी पर 510 करोड़ रुपये के ऋण भुगतान में चूक का आरोप लगाते हुए यह याचिका दायर की है। उल्लेखनीय है कि IREDA और PFC (पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन) ने मिलकर जेनसोल को कुल 977.75 करोड़ रुपये का कर्ज प्रदान किया था।
शेयरों में जबरदस्त गिरावट का इतिहास
हालांकि शेयरों में इस समय थोड़ी तेजी जरूर है, लेकिन बीते महीनों की तस्वीर कुछ और ही बयां करती है। जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों ने पिछले तीन महीनों में लगभग 88% की गिरावट झेली है, जबकि सिर्फ पिछले एक महीने में ही 51% से अधिक का नुकसान देखने को मिला है।
1 जनवरी 2025 को जिस शेयर की कीमत 772 रुपये थी, वह अब मात्र 62 रुपये पर कारोबार कर रहा है। कंपनी का 52 हफ्तों का उच्चतम स्तर 1124 रुपये रहा है, जिससे तुलना करें तो मौजूदा स्तर बेहद नीचे है।
विवादों में कैसे घिरी कंपनी
जेनसोल इंजीनियरिंग, जो कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाली एक प्रमुख कंपनी मानी जाती थी, अप्रैल 2025 से मुश्किलों में फंस गई जब IREDA और PFC ने इसके खिलाफ एक गंभीर शिकायत दर्ज करवाई। आरोप था कि कंपनी ने कर्ज से जुड़े दस्तावेजों में गड़बड़ी की है और तथ्यों को छुपाया गया है। इसके बाद ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने कंपनी के कार्यालयों पर छापेमारी की थी।
इसी दौरान सेबी ने एक और जांच शुरू की, जिसमें पाया गया कि अनमोल सिंह और पुनीत सिंह ने कंपनी के फंड्स का दुरुपयोग किया। आरोपों के मुताबिक उन्होंने कंपनी के पैसे से निजी ऐशोआराम की चीजें खरीदीं और गैरजरूरी खर्च किए, जिससे कंपनी को गंभीर आर्थिक नुकसान पहुंचा।
क्या अब निवेशकों के लिए उजाला दिख रहा है?
पदाधिकारियों के इस्तीफे के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि कंपनी अब एक नई दिशा की ओर बढ़ेगी। हालांकि कानूनी और वित्तीय परेशानियां अभी खत्म नहीं हुई हैं, लेकिन बाजार में एक बार फिर यह भावना बन रही है कि कंपनी में सुधार की संभावना है।
निष्कर्ष:
जेनसोल इंजीनियरिंग की कहानी एक बड़े उतार-चढ़ाव का प्रतीक बन चुकी है। जहां एक ओर निवेशकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा, वहीं अब हल्की सी उम्मीद की किरण नजर आने लगी है। आगे का रास्ता आसान नहीं है, लेकिन कंपनी की नई दिशा पर बाजार की निगाहें टिकी रहेंगी।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।