GST structure change: इंडस्ट्री ने GST काउंसिल से की सिफारिश, टैक्स सिस्टम में बदलाव की मांग

GST structure change: देश की टैक्स प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, सरल और व्यापक बनाने के उद्देश्य से उद्योग संगठनों ने केंद्र सरकार से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) ढांचे में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है। सूत्रों के अनुसार, उद्योग प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्रालय और जीएसटी काउंसिल को एक […]

GST सिस्टम में सुधार से जुड़े उद्योग जगत के सुझाव – बिजली, पेट्रोलियम और रियल एस्टेट को GST में शामिल करने की मांग

GST structure change: देश की टैक्स प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, सरल और व्यापक बनाने के उद्देश्य से उद्योग संगठनों ने केंद्र सरकार से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) ढांचे में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है। सूत्रों के अनुसार, उद्योग प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्रालय और जीएसटी काउंसिल को एक अहम ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने कुछ अहम सेक्टर्स को जीएसटी के दायरे में लाने का अनुरोध किया है।

पेट्रोलियम, बिजली और रियल एस्टेट पर फोकस

प्रस्ताव के मुताबिक, इंडस्ट्री ने सरकार से आग्रह किया है कि चरणबद्ध तरीके से पेट्रोलियम उत्पादों, बिजली और रियल एस्टेट को जीएसटी के तहत शामिल किया जाए। शुरुआत में एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) और प्राकृतिक गैस को जीएसटी के तहत लाने का सुझाव दिया गया है, ताकि धीरे-धीरे बाकी पेट्रोलियम उत्पाद भी इसी कर प्रणाली में सम्मिलित किए जा सकें।

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बिजली पर टैक्स क्रेडिट की गैरमौजूदगी एक बड़ी समस्या

उद्योगों का मानना है कि बिजली व्यापारिक गतिविधियों की एक आवश्यक इनपुट है, लेकिन इसे जीएसटी से बाहर रखने के कारण कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाता। नतीजतन, उत्पादन लागत बढ़ जाती है और प्रतिस्पर्धा में गिरावट आती है। बिजली को जीएसटी में शामिल करने से कंपनियों पर टैक्स बोझ कम हो सकता है, जिससे व्यापार में सुगमता आएगी।

रियल एस्टेट में बदलाव की जरूरत

वर्तमान में रियल एस्टेट क्षेत्र के कई हिस्से जैसे रेंटल और वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट सेवाएं जीएसटी के तहत आते हैं, लेकिन निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर मिलने वाला इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) सीमित है। उद्योग संगठन चाहते हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर में ITC नियमों को सरल बनाया जाए ताकि यह सेक्टर और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बन सके।

इन बदलावों के फायदे क्या होंगे?

उद्योग जगत का कहना है कि यदि इन सुझावों को लागू किया गया तो टैक्स बेस बढ़ेगा, जिससे जीएसटी दरों को घटाने की संभावनाएं भी बनेंगी। इसके साथ ही टैक्स की दोहराव प्रणाली (Cascading Effect) समाप्त होगी, जिससे उपभोक्ताओं को वस्तुओं और सेवाओं पर कम टैक्स देना होगा। साथ ही उद्योगों की लागत में कमी आएगी और वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।

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