IDBI Bank Disinvestment: एमिरेट्स एनबीडी की बड़ी डील, 61% हिस्सेदारी खरीदनें पर सहमति

IDBI Bank Disinvestment: दुबई स्थित बैंकिंग दिग्गज एमिरेट्स एनबीडी ने भारत के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक IDBI बैंक में 61 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। सूत्रों के मुताबिक, इस डील को लेकर भारत सरकार के निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) से मूल्यांकन के मुद्दे पर गहन चर्चा हो चुकी […]

IDBI Bank Disinvestment: दुबई स्थित बैंकिंग दिग्गज एमिरेट्स एनबीडी ने भारत के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक IDBI बैंक में 61 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। सूत्रों के मुताबिक, इस डील को लेकर भारत सरकार के निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) से मूल्यांकन के मुद्दे पर गहन चर्चा हो चुकी है। इस सौदे के फाइनल होने पर, IDBI बैंक का नियंत्रण एमिरेट्स एनबीडी के हाथों में चला जाएगा।

सरकार की ओर से अनुमति मिलने के कुछ ही दिनों के भीतर एमिरेट्स एनबीडी ने इस अधिग्रहण के लिए औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। अनुमान है कि यह डील 6 से 7 अरब डॉलर में पूरी तरह नकद भुगतान के रूप में संपन्न हो सकती है। अगर यह सौदा पूरा होता है, तो यह न केवल भारत में विदेशी निवेश को नई दिशा देगा, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को भी गति मिलेगी।Defence PSU Upgrade: मिनीरत्न श्रेणी-I में शामिल हुई तीन बड़ी कंपनियां, स्वदेशी निर्माण को मिलेगा बल

IDBI बैंक में सरकार और LIC की संयुक्त हिस्सेदारी है, जिसे सरकार चरणबद्ध तरीके से बेचने की योजना पर काम कर रही है। इसी क्रम में एमिरेट्स एनबीडी जैसे अंतरराष्ट्रीय बैंक की दिलचस्पी भारत के बैंकिंग क्षेत्र में एक मजबूत विदेशी विश्वास को दर्शाती है। इस अधिग्रहण के बाद IDBI बैंक एक पूर्णतः निजी और बहुराष्ट्रीय स्वामित्व वाला बैंक बन सकता है।

एमिरेट्स एनबीडी के पास खाड़ी देशों में व्यापक नेटवर्क और मजबूत वित्तीय स्थिति है, और भारत जैसे विशाल बाजार में उसकी यह एंट्री रणनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जा रही है। जानकारों का मानना है कि इससे न केवल IDBI बैंक को वित्तीय मजबूती मिलेगी, बल्कि तकनीकी और डिजिटल बैंकिंग में भी बड़ा सुधार संभव है।

इस डील की घोषणा के बाद बाजार में IDBI बैंक के शेयरों में भी हलचल देखी गई है। निवेशकों के बीच यह सौदा एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो बैंक के भविष्य को लेकर आशावाद पैदा करता है।

गौरतलब है कि IDBI बैंक को पहले ही निजीकरण के लिए चुना जा चुका था और यह सौदा भारत सरकार की विनिवेश नीति के तहत एक अहम कदम माना जाएगा। DIPAM द्वारा तय की गई शर्तों पर सहमति बनने के बाद अब यह सौदा अंतिम मंजूरी की ओर बढ़ रहा है।

यदि सौदा संपन्न होता है, तो भारत के बैंकिंग सेक्टर में यह अब तक की सबसे बड़ी विदेशी हिस्सेदारी में से एक होगी। यह डील आत्मनिर्भर भारत की दिशा में विदेशी पूंजी और प्रबंधन कौशल के समन्वय का बेहतरीन उदाहरण बन सकती है।

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