भारत के विरोध के बावजूद IMF ने पाकिस्तान को दिया 1 अरब डॉलर का कर्ज

IMF पाकिस्तान कर्ज आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से एक अरब डॉलर की मदद मिल गई है। भारत ने इस फैसले का सख्त विरोध किया था, खासकर इसलिए क्योंकि पाकिस्तान पर लगातार आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। भारत ने वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेकर […]

IMF ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का लोन दिया, भारत ने जताया विरोध

IMF पाकिस्तान कर्ज आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से एक अरब डॉलर की मदद मिल गई है। भारत ने इस फैसले का सख्त विरोध किया था, खासकर इसलिए क्योंकि पाकिस्तान पर लगातार आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। भारत ने वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेकर अपना विरोध जताया, जिससे यह सवाल उठता है कि भारत ने ऐसा कदम क्यों उठाया और इसका क्या असर हो सकता है।

IMF का फैसला क्या है?

IMF की हालिया बैठक में पाकिस्तान को Extended Fund Facility (EFF) स्कीम के तहत 1 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता देने को मंजूरी मिली है। पाकिस्तान को इस योजना के तहत कुल 2.3 अरब डॉलर की उम्मीद थी, जबकि IMF और पाकिस्तान के बीच 25 मार्च को 7 अरब डॉलर के पैकेज की पहली द्विवार्षिक समीक्षा में सहमति बनी थी।https://bazaarbits.com/kenrik-industries-ipo-listing-update-sme-bse/

यह सहायता कुछ कठोर शर्तों के साथ दी जा रही है, जिनमें कार्बन टैक्स लगाना, बिजली और पानी की दरों में समय-समय पर संशोधन, और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में उदारीकरण जैसे आर्थिक सुधार शामिल हैं। IMF का कहना है कि यह सहायता पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को सुधारने और जलवायु परिवर्तन व प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में मदद के लिए दी जा रही है।

भारत की आपत्ति क्यों?

भारत ने IMF के इस कदम पर कड़ा ऐतराज जताया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान इतने वर्षों से IMF की सहायता ले रहा है, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस सुधार देखने को नहीं मिला है। भारत ने यह भी चेतावनी दी है कि इस मदद का दुरुपयोग कर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा सकता है। पिछले 35 वर्षों में पाकिस्तान 28 बार IMF से मदद ले चुका है, और सिर्फ पिछले पांच वर्षों में ही चार बार बेलआउट पैकेज मिले हैं।

वोटिंग प्रक्रिया में भारत की भूमिका

IMF की कार्यप्रणाली के अनुसार, इसके बोर्ड में 25 निदेशक होते हैं जो 190 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर देश की वोटिंग ताकत उसके योगदान पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, अमेरिका की वोटिंग पावर 16%, चीन की लगभग 6%, भारत की 2.63% और पाकिस्तान की केवल 0.43% है। IMF में किसी प्रस्ताव पर विरोध का विकल्प नहीं होता, सिर्फ समर्थन या मतदान से दूरी (Abstain) का विकल्प होता है। भारत ने ‘Abstain’ करके विरोध दर्ज कराया।

भारत का रणनीतिक संदेश

भारत का यह कदम न सिर्फ विरोध का प्रतीक है, बल्कि इससे IMF के भीतर यह संदेश भी गया है कि पाकिस्तान को आर्थिक मदद के साथ-साथ जवाबदेही भी तय करनी होगी। भारत की इस चतुर रणनीति से भविष्य में पाकिस्तान पर कड़ी शर्तें लागू होने की संभावना बढ़ गई है, जिससे उसे आर्थिक मोर्चे पर और मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं।

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