Indian Forex Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बीते हफ्ते भारी गिरावट दर्ज की गई है। 1 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह भंडार करीब 9.3 अरब डॉलर घटकर 688.9 अरब डॉलर पर आ गया। यह 2025 में अब तक की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। पिछले साल सितंबर के अंत में यह भंडार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 704.89 अरब डॉलर पर पहुंचा था, लेकिन उसके बाद से इसमें उतार-चढ़ाव जारी है।
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रुपये को बचाने के लिए आरबीआई की दखलअंदाजी
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रुपये की तेज गिरावट को रोकने के लिए सक्रिय हस्तक्षेप किया। केंद्रीय बैंक ने बाजार में लगभग 6.9 अरब डॉलर की शुद्ध बिकवाली की, ताकि डॉलर की मांग पर अंकुश लगाकर रुपये को स्थिर रखा जा सके। इसके अलावा, 2.1 अरब डॉलर की कमी विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्यांकन में बदलाव से हुई, जो अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने का परिणाम था।
ट्रंप के टैरिफ से बढ़ा दबाव
रुपये पर दबाव की मुख्य वजह अमेरिका द्वारा भारत पर नए व्यापारिक प्रतिबंध हैं। 30 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 25% शुल्क लगाने का ऐलान किया। इस घोषणा के अगले ही दिन रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। मामला यहीं नहीं रुका — ट्रंप प्रशासन ने रूस से भारत के तेल आयात जारी रखने को लेकर अतिरिक्त 25% शुल्क भी लगा दिया। इस तरह भारतीय निर्यात पर अमेरिका का कुल आयात शुल्क 50% तक पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा संपत्तियों में सबसे ज्यादा गिरावट
कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ा हिस्सा, यानी 84% से अधिक, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (Foreign Currency Assets) का है। बीते सप्ताह इनमें ही 7 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा स्वर्ण भंडार और विशेष आहरण अधिकार (SDR) में भी मामूली कमी देखी गई।
आयात कवर अभी भी मजबूत
हालांकि गिरावट के बावजूद भारत के पास पर्याप्त भंडार मौजूद है। मौजूदा स्तर पर यह भंडार देश के 11 महीने से ज्यादा के माल आयात को कवर कर सकता है। इसका मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय भुगतान क्षमता पर तत्काल कोई संकट नहीं है, लेकिन अगर वैश्विक आर्थिक और व्यापारिक दबाव लंबे समय तक जारी रहा तो चुनौती गहरी हो सकती है।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते निर्यात पर असर पड़ सकता है, जिससे चालू खाते का घाटा बढ़ने की आशंका है। ऐसे में रुपये पर और दबाव आ सकता है और रिज़र्व बैंक को बार-बार बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। वहीं, डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की ऊंची कीमतें भी विदेशी मुद्रा भंडार पर अतिरिक्त बोझ डाल सकती हैं।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।