India US Trade Talks 2025: कृषि और ऑटो सेक्टर बने रोड़ा, समझौते से पहले मुश्किलें बरकरार

India US Trade Talks 2025: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर चल रही बातचीत का पांचवां चरण वॉशिंगटन डीसी में संपन्न हो गया है। हालांकि कई मुद्दों पर सहमति की ओर बढ़ते संकेत मिले हैं, लेकिन कृषि और ऑटोमोबाइल सेक्टर अब भी मुख्य अड़चनों के रूप में सामने आए हैं। भारतीय […]

US-India Trade War – ट्रंप के टैरिफ वार से रुपये में गिरावट और सोना रिकॉर्ड स्तर पर

India US Trade Talks 2025: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर चल रही बातचीत का पांचवां चरण वॉशिंगटन डीसी में संपन्न हो गया है। हालांकि कई मुद्दों पर सहमति की ओर बढ़ते संकेत मिले हैं, लेकिन कृषि और ऑटोमोबाइल सेक्टर अब भी मुख्य अड़चनों के रूप में सामने आए हैं।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने किया। इस दौरान दोनों पक्षों ने 1 अगस्त से पहले एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की संभावनाओं पर गंभीर चर्चा की। गौरतलब है कि 1 अगस्त को अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 12% टैरिफ की अस्थायी छूट समाप्त हो रही है, जिससे भारतीय निर्यातकों पर असर पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें: IPO Listing News: इस हफ्ते 10 कंपनियां शेयर बाजार में करेंगी एंट्री, देखें लिस्ट और डेट्स

डेयरी और कृषि पर अमेरिका की मांग, भारत की सख्ती बरकरार

वार्ता में डेयरी सेक्टर विशेष रूप से चर्चा का विषय रहा। अमेरिका चाहता है कि भारत इस क्षेत्र में कुछ टैरिफ रियायतें दे, जबकि भारत ने अब तक किसी भी देश को डेयरी टैरिफ में छूट नहीं दी है। भारतीय पक्ष का कहना है कि यह मुद्दा घरेलू किसानों की आजीविका और पारंपरिक पशुपालन व्यवस्था से जुड़ा है। वहीं कृषि उत्पादों जैसे सेब, मेवे और GMO फसलों पर भी अमेरिका भारत से बाजार खोलने की मांग कर रहा है।

ऑटो, EV और उद्योगिक वस्तुओं पर अमेरिका का दबाव

अमेरिका चाहता है कि भारत ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहनों, औद्योगिक उत्पादों, वाइन और पेट्रोकेमिकल्स पर आयात शुल्क कम करे। वहीं भारत का कहना है कि अप्रैल 2025 में अमेरिका द्वारा लगाए गए 26% टैरिफ ने भारतीय उत्पादकों को वैश्विक बाज़ार में नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में भारत उस टैरिफ में राहत चाहता है ताकि उसका निर्यात दोबारा गति पकड़ सके।

SCOMET, खनिज संसाधन और चीन पर भी चर्चा

बातचीत के दौरान रणनीतिक मामलों पर भी फोकस रहा। SCOMET (Special Chemicals, Organisms, Materials, Equipment, and Technologies) से जुड़े नियम, दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Minerals) तक भारत की पहुंच और गैर-बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्थाएं जैसे चीन को लेकर भी विचार-विमर्श हुआ। दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए सहयोग बढ़ाना होगा।

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बातचीत के बाद संकेत दिया कि वार्ता अच्छी दिशा में आगे बढ़ रही है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया औपचारिक चैनलों के ज़रिए ही चलेगी और किसी भी मीडिया अटकल से बचा जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में एक और उच्चस्तरीय वार्ता हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह अंतरिम समझौता समय पर हो जाता है, तो यह दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और मजबूती देगा। फिलहाल निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इस बार कोई ठोस निर्णय सामने आता है या फिर बातचीत एक और अधूरी प्रक्रिया बनकर रह जाती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top