भारतीय मसाला बाजार 2033 तक ₹5.13 लाख करोड़ पार करेगा, सालाना 10.56% की ग्रोथ संभव

भारतीय मसाला बाजार: भारतीय मसालों की लोकप्रियता अब केवल देश तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरी दुनिया में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। इसी को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत का मसाला उद्योग एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मसाला बाजार वर्ष […]

2033 तक भारतीय मसाला बाजार की ग्रोथ, हल्दी और जीरे की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मांग

भारतीय मसाला बाजार: भारतीय मसालों की लोकप्रियता अब केवल देश तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरी दुनिया में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। इसी को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत का मसाला उद्योग एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मसाला बाजार वर्ष 2033 तक ₹5.13 लाख करोड़ के स्तर तक पहुंच सकता है।

2024 में था ₹2 लाख करोड़ का बाजार

2024 में भारत का मसाला उद्योग लगभग ₹2 लाख करोड़ रुपये का था। यह आंकड़ा दर्शाता है कि यह क्षेत्र पहले से ही बेहद सशक्त स्थिति में है। लेकिन असली कहानी इसके भविष्य की है। 2025 से लेकर 2033 के बीच, इस सेक्टर में औसतन 10.56% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह दर किसी भी उद्योग के लिए बेहद प्रभावशाली मानी जाती है।RBI Dividend 2025: बजट से पहले सरकार को बड़ी राहत, मिलेगा रिकॉर्ड डिविडेंड

कौन-कौन से मसाले बनाएंगे अहम भूमिका

इस विकास यात्रा में हल्दी, जीरा, धनिया, मिर्च, लौंग, इलायची और अन्य पारंपरिक भारतीय मसालों की बड़ी भूमिका रहेगी। इनकी मांग घरेलू ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी तेजी से बढ़ रही है। खासकर जैविक और शुद्ध मसालों की ओर उपभोक्ताओं का झुकाव ज्यादा देखा जा रहा है, जिससे निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है।

एग्री कमोडिटी सेक्टर को मिलेगा बल

मसालों की यह तेजी न केवल इस इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद होगी, बल्कि पूरी कृषि आधारित वस्तुओं (Agri Commodities) की मांग को भी बढ़ावा देगी। मसालों का उत्पादन भारत के कई राज्यों में बड़े स्तर पर होता है, जैसे कि राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और गुजरात। ऐसे में किसानों की आय बढ़ने की भी प्रबल संभावना है।

वैश्विक स्तर पर बढ़ती पहचान

भारतीय मसालों की पहचान आज एक ब्रांड बन चुकी है। अमेरिका, यूरोप, मिडिल ईस्ट और दक्षिण-पूर्वी एशिया जैसे बाजारों में भारतीय मसालों की मांग दिन-ब-दिन बढ़ रही है। “मेड इन इंडिया” टैग को अब गुणवत्ता और स्वाद का पर्याय माना जाता है।

निवेशकों के लिए सुनहरा अवसर

इस सेक्टर में संभावनाओं को देखते हुए निवेशक भी अब मसाला उद्योग की ओर आकर्षित हो रहे हैं। चाहे वह बड़े कारोबारी समूह हों या एग्री स्टार्टअप्स, सभी इस तेजी से उभरते हुए बाजार में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं।

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