IPO Market News: भारतीय शेयर बाजार एक बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। अगले 12 से 18 महीनों के भीतर देश में करीब 50 अरब डॉलर (लगभग ₹4.15 लाख करोड़) के शुरुआती सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) आने की संभावना जताई जा रही है। यह अब तक का सबसे बड़ा फंडरेज़िंग दौर साबित हो सकता है, जिसमें निजी इक्विटी निवेशक अपने हिस्से बेचेंगे और कंपनियां पूंजी जुटाएंगी।
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ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के वरिष्ठ अधिकारी गौतम सिन्हा रॉय के अनुसार, यह लहर न केवल बाजार की ताकत को परखेगी बल्कि मूल्यांकन (Valuation) के प्रति निवेशकों की सहनशीलता की भी परीक्षा होगी। उन्होंने संकेत दिया कि यह IPO बूम भारत में इक्विटी बाज़ार की परिपक्वता और निवेशकों की समझ का इम्तिहान लेगा।
अब तक FY26 में 20 अरब डॉलर से ज्यादा जुटे
वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत में ही भारतीय कंपनियों ने IPO के ज़रिए $20 अरब से अधिक की रकम जुटा ली है। यदि इस गति से नए IPO आते रहे तो आगामी महीनों में यह आंकड़ा रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच सकता है।
हालांकि, 2025 की पहली छमाही में IPO डील्स की संख्या 30% कम हुई, लेकिन फिर भी 108 सौदों के ज़रिए कुल $4.6 अरब का निवेश जुटाया गया — यह आंकड़ा दर्शाता है कि बाजार में रुचि अभी भी बनी हुई है, भले ही गतिविधि थोड़ी धीमी पड़ी हो।
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कंपनियों के तिमाही नतीजों में दिखा दम
हाल ही में समाप्त हुए जून तिमाही में भारत की प्रमुख कंपनियों के नतीजे भी उम्मीद से बेहतर रहे। कुल मिलाकर कंपनियों के मुनाफे में 10% से अधिक की सालाना बढ़त दर्ज की गई है। खासकर बड़े प्राइवेट बैंक, तेल और गैस कंपनियां मजबूत प्रदर्शन के साथ सामने आईं। दूसरी ओर, आईटी सेक्टर में थोड़ी सुस्ती देखी गई, जो वैश्विक मांग के दबाव को दर्शाती है।
बाजार को सहारा दे रहे दो मजबूत स्तंभ
गौतम रॉय बताते हैं कि इस समय भारतीय इक्विटी बाजार को दो मुख्य ताकतें सहारा दे रही हैं — एक तो घरेलू निवेशकों की मजबूत भागीदारी, और दूसरी, स्थिर आय अर्जन क्षमता। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी का रैली मजबूत दिख रहा है, लेकिन बाजार को ऊंचाइयों तक टिकाए रखने के लिए आगे भी आय (Earnings) में निरंतर सुधार जरूरी होगा।
कहां दिख रही हैं निवेश की संभावनाएं?
गौतम रॉय के अनुसार, निवेशकों को अब बेहद चयनात्मक रणनीति अपनानी चाहिए। उन्होंने कुछ क्षेत्रों की ओर इशारा किया जहाँ संभावनाएं दिखाई दे रही हैं:
- वित्तीय क्षेत्र (खासतौर पर बड़े बैंक)
- डिस्क्रिशनरी कंजंप्शन (लक्ज़री और गैर-ज़रूरी वस्तुएं)
- हेल्थकेयर और फार्मा
- और कुछ खास इंडस्ट्रियल सेक्टर जैसे एविएशन और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह अवश्य लें।
आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।

