जापान की अर्थव्यवस्था को साल 2025 की पहली तिमाही में गहरा झटका लगा है। यह पहली बार है जब बीते एक साल में देश की GDP में गिरावट देखी गई है। कैबिनेट ऑफिस की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से मार्च के बीच जापान की अर्थव्यवस्था में सालाना आधार पर 0.7% की गिरावट आई है। यह आंकड़ा बाजार की उम्मीदों से कहीं ज़्यादा है, क्योंकि अर्थशास्त्रियों ने केवल 0.3% गिरावट का अनुमान लगाया था।
आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि यह गिरावट सिर्फ घरेलू स्तर पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चिंताजनक है, क्योंकि जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसी स्थिति दूसरी तिमाही में भी बनी रही, तो देश “टेक्निकल मंदी” की स्थिति में प्रवेश कर सकता है।https://bazaarbits.com/grse-share-5-days-rally-2025/
रिपोर्ट के अनुसार, GDP में गिरावट की मुख्य वजहें निर्यात में कमी, आयात में वृद्धि और उपभोक्ता खर्च का ठहराव रही हैं। जापान में कंजम्पशन लगभग GDP का आधा हिस्सा होता है, लेकिन इस तिमाही में यह लगभग स्थिर रहा। बढ़ती महंगाई ने लोगों की खरीदने की क्षमता को प्रभावित किया है, जिससे उपभोग महामारी से पहले के स्तर से भी नीचे चला गया है।
प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के कार्यकाल में यह पहली बार हुआ है जब अर्थव्यवस्था में इतनी तेज गिरावट आई है। यह स्थिति इसलिए और भी संवेदनशील मानी जा रही है क्योंकि अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ का असर अभी आना बाकी है, जो इसी तिमाही से लागू हो सकते हैं। ऐसे में आने वाले महीनों में स्थितियां और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
एनएलआई रिसर्च इंस्टीट्यूट के इकोनॉमिक रिसर्च प्रमुख तारो सैटो का कहना है कि जापान की आर्थिक विकास दर पहले ही धीमी है और अब विदेशी दबावों के कारण निवेश पर भी असर पड़ सकता है। उनका कहना है, “फिलहाल की रिपोर्ट में अमेरिकी टैरिफ का असर नहीं दिखा है, लेकिन यह जल्द ही नजर आने लगेगा। इससे कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत खर्च में गिरावट देखी जा सकती है।”
महंगाई भी जापानी आम जनता के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है। बैंक ऑफ जापान का सालाना मुद्रास्फीति लक्ष्य 2% है, लेकिन फिलहाल कीमतें इससे कहीं ज़्यादा बढ़ गई हैं। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी उछाल देखा जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, चावल की कीमत मार्च महीने में पिछले साल की तुलना में 92% ज्यादा हो गई है। राष्ट्रीय प्रसारक NHK की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई सरकारी स्कूलों ने लागत घटाने के लिए हफ्ते में मिलने वाले अनाज आधारित लंच को तीन दिन से घटाकर दो दिन कर दिया है।
बढ़ती कीमतों, सुस्त उपभोक्ता खर्च और वैश्विक व्यापारिक दबावों ने जापान की आर्थिक स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में सरकार और बैंक ऑफ जापान को बेहद सोच-समझकर कदम उठाने होंगे, ताकि हालात और न बिगड़ें। अमेरिकी टैरिफ के असर को लेकर चिंता पहले से बनी हुई है, जिससे नीति निर्माताओं की अगली चाल बेहद अहम होगी।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।