Kaynes Technology Share Price: बाज़ार में बुधवार को Kaynes Technology अचानक सुर्खियों में आ गई, लेकिन वजह सकारात्मक नहीं थी। ट्रेडिंग के दौरान स्टॉक पर बिकवाली इतनी तेज हुई कि दोपहर होते-होते यह करीब 6 प्रतिशत लुढ़क गया। गिरावट की वजह Kotak Institutional Equities की एक खास रिपोर्ट है, जिसने कंपनी की वित्तीय पारदर्शिता और अकाउंटिंग व्यवहार को लेकर कई गंभीर मुद्दे उठाए हैं।
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आज का ट्रेड बिल्कुल सपाट स्तर से शुरू हुआ था। कीमत पिछले बंद 5,307 रुपये के आसपास ही खुली, लेकिन शुरुआती घंटे में ही तेजी से फिसलन शुरू हो गई और शेयर 300 रुपये से अधिक टूट गया। एक हफ्ते के भीतर ही स्टॉक 6 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है, जबकि पिछले 12 महीनों में इसकी वैल्यू करीब 20 प्रतिशत घट चुकी है।
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विदेशी निवेशकों का रुझान भी इस दौरान बदलता दिखा है। सितंबर 2025 की तिमाही में एफआईआई हिस्सेदारी घटकर 10.71 प्रतिशत रह गई, जबकि दिसंबर 2024 में यह लगभग 15 प्रतिशत थी। यह संकेत देता है कि बड़े संस्थागत निवेशक भी जोखिम देखते हुए हिस्सेदारी कम कर रहे हैं।
कंपनी का बिजनेस मॉडल क्या है?
Kaynes Technology इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में design-to-delivery मॉडल पर काम करती है। यह बड़े ब्रांडों के लिए हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, IoT आधारित उत्पाद और खास तकनीकी समाधान विकसित और तैयार करती है।
कोटक की रिपोर्ट क्यों बनी चिंता का कारण?
रिपोर्ट का बड़ा मुद्दा एक पुराना बकाया है। कोटक के अनुसार, कंपनी की एक सहायक इकाई Iskraemeco के खातों में लगभग 46 करोड़ रुपये से अधिक की राशि पिछले एक साल से जमा है और यह पैसा पैरेंट कंपनी से ही आना है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसी देरी यह संकेत दे सकती है कि ग्रुप के भीतर वित्तीय अनुशासन कमजोर है।
दूसरा बड़ा सवाल contingent liabilities को लेकर है। FY2025 में कंपनी की संभावित देनदारियां बढ़कर 520 करोड़ रुपये तक पहुंच गई हैं। यह Kaynes की कुल नेट वर्थ का लगभग पांचवां हिस्सा है। आमतौर पर इतनी बड़ी contingent liabilities छोटे निवेशकों के लिए खतरे का संकेत मानी जाती हैं, क्योंकि इनमें से कोई भी देनदारी भविष्य में असली खर्च का रूप ले सकती है।
रिपोर्ट में receivable discounting और provisioning से जुड़े जोखिमों का भी जिक्र है, जो सीधे कंपनी के मुनाफे और वर्किंग कैपिटल को प्रभावित कर सकते हैं।
उधार महंगा और नकदी की रफ्तार धीमी
FY2025 में कंपनी की औसत उधारी लागत करीब 18 प्रतिशत रही, जो मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए आमतौर पर बहुत ऊंचा स्तर माना जाता है। ऐसे महंगे कर्ज का मतलब है कि ब्याज खर्च बढ़ता है और नेट मार्जिन दबाव में आता है।
इसी साल कंपनी ने तकनीकी अधिकार, डिजाइन और प्रोटोटाइप को एसेट के रूप में 180 करोड़ रुपये तक capitalized किया है। यह रकम उसके वार्षिक राजस्व का लगभग 6.5 प्रतिशत है। विश्लेषकों के अनुसार यह हिस्सा काफी बड़ा है और अकाउंटिंग प्रैक्टिस को लेकर सवाल खड़े करता है।
साथ ही cash conversion cycle में अचानक बढ़ोतरी ने भी चिंता को और गहरा कर दिया है। FY2025 में कंपनी को अपने बकाया वसूलने में 119 दिन अधिक लगे। लंबे समय तक अटकी नकदी तरलता पर सीधा दबाव डालती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। इसमें दी गई सामग्री निवेश सलाह नहीं है। किसी भी निवेश निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।
आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।

