मार्च 2025 शेयर बाजार में गिरावट के बीच प्रमोटरों ने बढ़ाई हिस्सेदारी

मार्च 2025 की तिमाही में जब भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का दौर था और निवेशकों के बीच बेचैनी बढ़ रही थी, उसी समय कुछ प्रमोटरों ने इस कमजोरी को सुनहरे अवसर में बदल दिया। उस दौरान इंडेक्स में करीब 1.5% की गिरावट दर्ज हुई थी। लेकिन इस गिरावट के बीच कई कंपनियों के प्रमोटरों ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर यह संकेत दिया कि वे अपनी कंपनियों के भविष्य को लेकर आशावादी हैं।
प्रमोटर होल्डिंग घटी, लेकिन चुनिंदा कंपनियों में दिखा भरोसा
Motilal Oswal Financial Services की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, Nifty 500 इंडेक्स में प्रमोटर होल्डिंग सालाना आधार पर घटकर 49.5% पर पहुंच गई है — जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 19.2% कर ली है, जो विदेशी निवेशकों (FPIs) की हिस्सेदारी 18.8% से अधिक हो गई है।https://bazaarbits.com/12-may-share-market-update-nifty-sensex-rally-adani-tourism-stocks/
इन कंपनियों में प्रमोटरों ने दिखाई दिलचस्पी
रिपोर्ट में जिन कंपनियों में प्रमोटर ने आक्रामक रूप से खरीदारी की, उनमें सबसे ऊपर है India Cements, जहां हिस्सेदारी में 26% तक की वृद्धि देखी गई। इससे साफ है कि प्रमोटर कंपनी के भविष्य को लेकर काफी आत्मविश्वास में हैं।
Godrej Industries, Borosil Renewables, और Jindal Steel जैसे नाम भी सूची में हैं, जहां हिस्सेदारी में इजाफा और शेयरों में सकारात्मक रिटर्न देखने को मिला। खासकर टूरिज़्म और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों में यह ट्रेंड अधिक देखा गया।
हालांकि, कुछ कंपनियों जैसे SpiceJet, IFCI, और BCL Industries में हिस्सेदारी बढ़ाने के बावजूद प्रदर्शन कमजोर रहा है। यह दिखाता है कि केवल प्रमोटर की खरीदारी ही अच्छे रिटर्न की गारंटी नहीं है।
कम बढ़ोतरी वाले स्टॉक्स और उनकी चाल
Trident, D B Corp, और Usha Martin जैसी कंपनियों में मामूली हिस्सेदारी बढ़ी, लेकिन शेयर रिटर्न या तो निगेटिव रहे या बहुत मामूली। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रमोटर एक्टिविटी को समझने के लिए कंपनी के फंडामेंटल्स को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
प्रमोटर की खरीदारी: निवेशकों के लिए क्या संकेत देती है?
जब प्रमोटर गिरते बाजार में शेयर खरीदते हैं, तो यह एक पॉजिटिव संकेत माना जाता है — यह दर्शाता है कि वे अपनी कंपनी की लंबी अवधि की ग्रोथ को लेकर आत्मविश्वासी हैं।
इसके कुछ मुख्य कारण हैं:
- आंतरिक भरोसे का संकेत: प्रमोटर को अगर लगता है कि कंपनी की स्थिति मजबूत है, तो वे खुद निवेश करते हैं।
- लो वैल्यूएशन का फायदा: जब शेयर सस्ते में मिल रहे हों, तो प्रमोटर उन्हें खरीदकर लॉन्ग टर्म रिटर्न का फायदा लेना चाहते हैं।
- मार्केट को संदेश: ऐसी खरीदारी से अन्य निवेशकों को भी भरोसा मिलता है।
लेकिन यह हमेशा सही संकेत नहीं होता। अगर खरीद सिर्फ कीमत बढ़ाने के मकसद से हो और कंपनी की आर्थिक स्थिति कमजोर हो, तो नुकसान भी हो सकता है।
निवेशकों के लिए सलाह
अगर किसी कंपनी में प्रमोटर लगातार हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं और कंपनी के फंडामेंटल्स भी मजबूत हैं, तो यह निवेशकों के लिए ध्यान देने योग्य संकेत हो सकता है। लेकिन किसी भी फैसले से पहले कंपनी का बिजनेस मॉडल, वित्तीय रिपोर्ट और इंडस्ट्री ट्रेंड का विश्लेषण जरूर करें।