Mutual Fund Tips: बैंक ऑफ बड़ौदा बीएनपी परिबास म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर शिव चनानी का मानना है कि मिडकैप, स्मॉलकैप और सेक्टर-आधारित फंड्स में निवेश करने वाले लोगों को कम से कम 3 से 5 साल की समयावधि के साथ योजना बनानी चाहिए। उनके अनुसार, इन फंड्स में निवेश तभी बेहतर रिटर्न दे सकता है जब निवेशक उन्हें पर्याप्त समय दें ताकि कंपनियां खुद को विकसित कर सकें और बाजार में आने वाले आर्थिक चक्र पूरे हो सकें।
भारत की विकास गाथा में मिडकैप और कंजम्पशन थीम अहम
शिव चनानी ने मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को भारत के अगले 5 से 10 वर्षों की मजबूत ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बताया। उनके अनुसार, कंजम्पशन यानी उपभोग आधारित कंपनियों का प्रदर्शन भी आने वाले वर्षों में काफी दमदार रहने की संभावना है। ये सेक्टर्स सिर्फ शॉर्ट टर्म में नहीं बल्कि लॉन्ग टर्म में निवेशकों को फायदा दे सकते हैं, बशर्ते निवेश में धैर्य रखा जाए।
यह भी पढ़ें: Dixon Technologies Q1 Results: मजबूत कमाई और EBITDA ग्रोथ से Dixon के शेयर 3% उछले
उनका कहना है कि ये कंपनियाँ अभी उस स्तर पर हैं जहाँ से वे आने वाले समय में काफी आगे बढ़ सकती हैं। यदि निवेशक जल्दी मुनाफा निकालने की सोच छोड़ दें और धैर्य रखें, तो उन्हें अच्छे रिटर्न मिलने की पूरी संभावना है।
ग्लोबल टैरिफ का भारत पर सीमित असर
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में टैरिफ को लेकर कई तरह की चिंताएं देखने को मिली हैं, लेकिन चनानी का मानना है कि भारत की वैश्विक निर्यात में हिस्सेदारी अभी भी बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए इस तरह की नीतियों का प्रतिकूल असर देश की कंपनियों पर ज्यादा नहीं पड़ेगा। इस वजह से मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स के प्रदर्शन पर फिलहाल कोई गंभीर खतरा नहीं दिख रहा।
वैल्यूएशन पर भी दी सफाई
भारत के इक्विटी मार्केट्स को लेकर यह चर्चा आम है कि यहां के शेयरों की वैल्यूएशन यानी कीमतें बहुत ज्यादा हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चनानी ने कहा कि भारत का प्रीमियम पूरी तरह जायज़ है क्योंकि यहां की कंपनियों में बेहतर रिटर्न ऑन इक्विटी, पूंजी की प्रभावी उपयोगिता और उच्च मार्केट लिक्विडिटी जैसी विशेषताएँ हैं। यही कारण है कि विदेशी और घरेलू दोनों तरह के निवेशक भारत को लेकर सकारात्मक नजरिया रखते हैं।
कैश होल्डिंग्स में संतुलन
फंड की रणनीति के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि फिलहाल उनके पोर्टफोलियोज में 4-5% तक नकद राशि रखी गई है। यह कैश होल्डिंग विभिन्न इंटरनल रिस्क पैरामीटर्स और मार्केट आउटलुक के आधार पर तय की गई है, ताकि जरूरत पड़ने पर तेजी से अवसरों का लाभ उठाया जा सके।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।