NATO Defence Budget Impact: अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा माहौल में बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच, दुनिया के सबसे ताकतवर सैन्य गठजोड़ों में से एक नाटो (NATO) ने अपनी रक्षा रणनीति को और सुदृढ़ करने के लिए आर्थिक मोर्चे पर बड़ा फैसला लिया है। 32 सदस्य देशों वाले इस संगठन ने घोषणा की है कि वे आने वाले वर्षों में अपनी राष्ट्रीय GDP का 5% हिस्सा सुरक्षा और रक्षा से जुड़े क्षेत्रों में खर्च करेंगे। इस फैसले का असर वैश्विक बाजारों में साफ दिखा, और भारत जैसे उभरते डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलने की संभावना है।
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वैश्विक फैसला, स्थानीय असर
नाटो के इस निर्णय से वैश्विक स्तर पर हथियारों और रक्षा उपकरणों की मांग बढ़ेगी। चूंकि भारत ने पिछले एक दशक में डिफेंस प्रोडक्शन में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से प्रगति की है, ऐसे में भारतीय डिफेंस कंपनियों को वैश्विक ऑर्डर मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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निर्यात-योग्य रक्षा प्रणालियों, मिसाइल तकनीक, एवियोनिक्स और कम्युनिकेशन सिस्टम्स में भारत की दक्षता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय खरीदार अब भारत की ओर रुख कर सकते हैं। खासकर HAL, BEL, और Data Patterns जैसी कंपनियां इस अवसर का फायदा उठा सकती हैं।
बाजार में सकारात्मक संकेत
गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में इसका प्रभाव साफ नजर आया। कई डिफेंस कंपनियों के शेयरों में 3% से 4% तक की उछाल देखी गई। BEL (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड), HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स), और Astra Microwave जैसे स्टॉक्स में भारी खरीदारी दर्ज की गई। साथ ही, Nifty India Defence Index भी 1.5% की बढ़त के साथ बंद हुआ, जो दर्शाता है कि निवेशक इस सेक्टर को लेकर उत्साहित हैं।
भारत की भूमिका हो रही है मज़बूत
भारत ने हाल ही में “मेक इन इंडिया – डिफेंस” पहल के तहत कई बड़े प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए हैं, जिनमें स्वदेशी मिसाइल सिस्टम, अडवांस ड्रोन टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम शामिल हैं। ऐसे में NATO का यह फैसला भारत को एक वैश्विक रक्षा सप्लायर के रूप में उभारने में मदद कर सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि NATO द्वारा रक्षा बजट बढ़ाना केवल एक सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि एक वैश्विक आर्थिक ट्रेंड का हिस्सा है। इससे भारत को न केवल ऑर्डर्स मिल सकते हैं, बल्कि तकनीकी सहयोग और रिसर्च इनोवेशन के नए अवसर भी खुल सकते हैं।
एक्सपर्ट व्यू
प्रशांत तापसे, जो Mehta Equities में रिसर्च एनालिस्ट हैं, का मानना है कि “अगर NATO सदस्य देश अपने रक्षा बजट को जीडीपी के 5% तक ले जाते हैं, तो इससे अंतरराष्ट्रीय रक्षा खरीद में बड़ा बदलाव आएगा, और भारत को रणनीतिक साझेदार के तौर पर महत्व मिलेगा।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। इसमें दी गई जानकारी निवेश सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श क

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।