Ola Electric Board Meeting: 25 अक्टूबर को फंड जुटाने पर अहम फैसला, इंजीनियर की मौत पर कंपनी ने दी सफाई

ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड की बोर्ड मीटिंग 25 अक्टूबर 2025 को होगी, जिसमें कंपनी फंड जुटाने के प्रस्ताव पर अहम फैसला ले सकती है। यह कदम इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर में कंपनी के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसी बीच, कंपनी ने अपने इंजीनियर के अरविंद की मौत के मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कभी कोई शिकायत दर्ज नहीं की थी।

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Ola Electric Board Meeting: ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड की बोर्ड मीटिंग 25 अक्टूबर 2025 को होने जा रही है, जिसमें कंपनी पूंजी जुटाने के प्रस्ताव पर चर्चा करेगी। इस बैठक में इक्विटी शेयरों या अन्य योग्य प्रतिभूतियों के माध्यम से फंड जुटाने की संभावना पर विचार किया जाएगा। यह प्रक्रिया निजी प्लेसमेंट, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP), प्रेफरेंशियल इश्यू या अन्य अनुमोदित तरीकों से की जा सकती है। अंतिम निर्णय नियामक संस्थाओं और शेयरधारकों की स्वीकृति पर निर्भर करेगा।

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कंपनी ने बताया है कि सेबी के इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के अनुसार ट्रेडिंग विंडो 1 अक्टूबर 2025 से बंद है। यह विंडो वित्तीय नतीजे घोषित होने के 48 घंटे बाद दोबारा खोली जाएगी। इसका उद्देश्य है कि संवेदनशील वित्तीय जानकारी के लीक होने की कोई संभावना न रहे।

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फंड जुटाने से कंपनी को क्या मिलेगा फायदा

ओला इलेक्ट्रिक इस समय भारत के तेजी से बढ़ते ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, आगामी फंडिंग राउंड कंपनी को उत्पादन क्षमता बढ़ाने, नई तकनीक विकसित करने और अंतरराष्ट्रीय विस्तार के लिए पूंजी उपलब्ध कराएगा। कंपनी पहले से ही अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर और आगामी कार प्रोजेक्ट को लेकर बड़े निवेश की योजना बना रही है।

पिछले कुछ महीनों में, ओला इलेक्ट्रिक ने अपने फैक्ट्री इंफ्रास्ट्रक्चर और सेल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को अपग्रेड करने पर जोर दिया है। उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि अगर कंपनी को इस राउंड में पर्याप्त निवेश मिलता है, तो यह उसे भारत में ईवी क्षेत्र के अग्रणी खिलाड़ियों में बनाए रखेगा।

इंजीनियर की मौत पर ओला इलेक्ट्रिक की सफाई

कंपनी ने हाल ही में एक संवेदनशील मामले पर भी बयान जारी किया है। दरअसल, मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के एक इंजीनियर के अरविंद ने 28 सितंबर को आत्महत्या कर ली थी। उनके परिवार ने आरोप लगाया था कि उन्हें कार्यस्थल पर परेशान किया गया और बकाया वेतन नहीं दिया गया।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ओला इलेक्ट्रिक ने कहा कि अरविंद ने अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी किसी तरह की शिकायत दर्ज नहीं की थी। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका पद वरिष्ठ प्रबंधन के साथ प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं था।

इस मामले में दर्ज एफआईआर को लेकर ओला इलेक्ट्रिक ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। कंपनी ने बताया कि अदालत ने उसके और संबंधित अधिकारियों के पक्ष में संरक्षणात्मक आदेश जारी किए हैं।

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