Piramal Finance Q2 Results: पिरामल फाइनेंस का मुनाफा हुआ दोगुना, पूनावाला फिनकॉर्प ने भी की दमदार वापसी

सितंबर तिमाही में Piramal Finance का मुनाफा दोगुना होकर ₹327 करोड़ पहुंच गया, जबकि Poonawalla Fincorp ने घाटे से उभरते हुए ₹74 करोड़ का लाभ दर्ज किया।

Piramal Finance Q2 Results में मुनाफा दोगुना, Poonawalla Fincorp ने भी की दमदार वापसी

Piramal Finance Q2 Results: सितंबर तिमाही में वित्तीय क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियों, पिरामल फाइनेंस और पूनावाला फिनकॉर्प, ने मजबूत नतीजे पेश किए हैं। दोनों संस्थानों ने ब्याज आय में सुधार और बेहतर परिसंपत्ति प्रबंधन के दम पर मुनाफे में उल्लेखनीय उछाल दर्ज किया है।

यह भी पढ़ें: IT Sector Outlook: बड़े आईटी शेयरों में धीमी ग्रोथ और मार्जिन दबाव, मिडकैप फर्मों में निवेश के नए अवसर

पिरामल फाइनेंस का तिमाही मुनाफा दोगुना

पिरामल फाइनेंस का समेकित शुद्ध लाभ सितंबर तिमाही में बढ़कर ₹327 करोड़ पर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग दोगुना है। कंपनी ने बताया कि यह वृद्धि मुख्य रूप से नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) में सुधार के कारण हुई, जो साल-दर-साल बढ़कर ₹8,132 करोड़ हो गई।

यह भी पढ़ें: Asian Paints Share Price: एशियन पेंट्स के शेयर में तीसरे दिन लगातार तेजी, निवेशकों में बढ़ा उत्साह

कंपनी की एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) में भी मजबूत बढ़त देखने को मिली, जो 22% उछलकर ₹91,447 करोड़ तक पहुंच गई। वहीं, नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में 104 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के साथ यह 6.1% पर पहुंच गया। ब्याज दरों में कमी और पूंजी की बेहतर लागत प्रबंधन से कंपनी की उधारी लागत 19 बेसिस प्वाइंट घट गई, जिससे लाभप्रदता को अतिरिक्त समर्थन मिला।

कंपनी ने बताया कि बेहतर पोर्टफोलियो क्वालिटी, स्थिर कलेक्शन और हाउसिंग तथा रिटेल फाइनेंस सेगमेंट में ग्रोथ ने इस प्रदर्शन को मजबूत किया है।

पूनावाला फिनकॉर्प फिर से मुनाफे में

दूसरी ओर, पूनावाला फिनकॉर्प ने भी सितंबर तिमाही में जबरदस्त वापसी की है। कंपनी पिछले साल के ₹471 करोड़ के घाटे से निकलकर इस बार ₹74 करोड़ के मुनाफे में पहुंच गई।

कंपनी की नेट इंटरेस्ट इनकम 37% बढ़कर ₹764 करोड़ रही, जबकि AUM में 68% की भारी बढ़ोतरी दर्ज हुई और यह ₹47,700 करोड़ तक पहुंच गई। प्रबंधन के अनुसार, यह उछाल नए कारोबारी सेगमेंट में विस्तार और कम लागत वाले नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) के जरिये पूंजी जुटाने से संभव हुआ है।

कंपनी अब अपने उपभोक्ता और MSME लोन पोर्टफोलियो को आक्रामक रूप से बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। साथ ही, डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से लागत घटाने और तेज वितरण पर भी फोकस किया जा रहा है।

विश्लेषकों की राय

वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि दोनों कंपनियों के लिए ब्याज दरों में स्थिरता और उधारी लागत में कमी अगले कुछ तिमाहियों में भी सकारात्मक असर डाल सकती है। रिटेल लोन सेगमेंट में मजबूत मांग और बेहतर क्रेडिट गुणवत्ता से इन कंपनियों की लाभप्रदता और बढ़ने की उम्मीद है।

Scroll to Top