Railway Stocks: पिछले कुछ कारोबारी दिनों से रेलवे से जुड़ी सरकारी कंपनियों के शेयरों में अचानक लौटी मजबूती ने बाजार में हलचल पैदा कर दी है। जिन शेयरों पर हाल ही में लंबा दबाव बना हुआ था, उनमें अब लगातार खरीदारी देखने को मिल रही है। शुक्रवार, 26 दिसंबर को यह ट्रेंड और मजबूत हुआ, जब रेलवे सेक्टर के प्रमुख पीएसयू स्टॉक्स में तेज उछाल दर्ज किया गया और सालभर के नुकसान में उल्लेखनीय कमी आई।
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RVNL बना तेजी का केंद्र, निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी
Rail Vikas Nigam Ltd (RVNL) के शेयरों ने शुक्रवार को सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं। कारोबार के दौरान इसमें करीब 10 प्रतिशत तक की छलांग देखने को मिली, जो बीते कई महीनों में इसकी सबसे मजबूत एकदिवसीय तेजी मानी जा रही है। बाजार में यह संकेत मिल रहा है कि भारी करेक्शन के बाद निवेशक इस शेयर में दोबारा भरोसा दिखा रहे हैं। दिसंबर महीने में RVNL की बढ़त अब तक करीब 17 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, जिससे यह 2025 का इसका सबसे बेहतर महीना साबित हुआ है।
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RailTel, IRFC और IRCON में भी दिखी मजबूत खरीदारी
RVNL के अलावा अन्य रेलवे पीएसयू स्टॉक्स में भी अच्छी तेजी दर्ज की गई। RailTel Corporation, IRFC और IRCON International के शेयरों में 5 से 6 प्रतिशत तक की मजबूती देखने को मिली। इस तेजी के चलते RailTel का सालाना नुकसान सिमटकर अब सिंगल डिजिट में आ गया है। वहीं IRFC और IRCON अब भी दो अंकों में नीचे हैं, लेकिन हालिया उछाल ने इनमें रिकवरी की उम्मीद जरूर बढ़ाई है।
सालाना प्रदर्शन पर असर, घाटे से बाहर निकलने की कोशिश
हालिया तेजी से रेलवे शेयरों के पूरे साल के आंकड़े कुछ हद तक सुधरे हैं। RVNL, जो महीने की शुरुआत में करीब 30 प्रतिशत तक टूट चुका था, अब सालाना आधार पर केवल लगभग 11 प्रतिशत नीचे रह गया है। IRFC फिलहाल करीब 14 प्रतिशत और IRCON करीब 18 प्रतिशत की गिरावट में बना हुआ है। IRCON के लिए यह 2019 के बाद पहला मौका हो सकता है जब साल का अंत नकारात्मक रिटर्न के साथ हो।
रेलवे किरायों में बदलाव से सेक्टर पर नजर
शेयर बाजार की हलचल के बीच रेलवे से जुड़ा एक अहम नीतिगत बदलाव भी लागू हुआ है। 215 किलोमीटर से अधिक दूरी की यात्राओं के लिए नए किराए प्रभावी हो गए हैं। मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में AC और नॉन-AC दोनों श्रेणियों के किराए में प्रति किलोमीटर 2 पैसे की बढ़ोतरी की गई है। सामान्य श्रेणी के यात्रियों के लिए यह बढ़ोतरी 1 पैसा प्रति किलोमीटर रखी गई है, जबकि सीजनल और मंथली पास के किराए में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
कम एनालिस्ट कवरेज और सरकारी हिस्सेदारी बनी चिंता
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे सेक्टर के अधिकांश पीएसयू स्टॉक्स पर एनालिस्ट कवरेज अभी भी सीमित है, जिससे इनमें उतार-चढ़ाव ज्यादा रहता है। IRFC के मामले में सरकारी हिस्सेदारी एक बड़ा फैक्टर बनी हुई है। कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत से अधिक है, जो सेबी के न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम से ऊपर है। ऐसे में भविष्य में हिस्सेदारी बिक्री की आशंका निवेशकों के लिए एक जोखिम के तौर पर देखी जा रही है।
आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।

