RBI का बड़ा कदम: वित्तीय बाजारों के खुलने का समय बदलने की तैयारी

अब बैंकों के लिए आपस में कम समय के लिए पैसे का लेनदेन शाम 5 बजे की बजाय शाम 7 बजे तक हो सकेगा। RBI का मानना है कि इससे बैंकों को रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम में पैसों के प्रबंधन में आसानी होगी। रेपो और TREP में कारोबार का बढ़ेगा वक्त वहीं, मार्केट रेपो और ट्री-पार्टी […]

अब बैंकों के लिए आपस में कम समय के लिए पैसे का लेनदेन शाम 5 बजे की बजाय शाम 7 बजे तक हो सकेगा। RBI का मानना है कि इससे बैंकों को रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम में पैसों के प्रबंधन में आसानी होगी।

रेपो और TREP में कारोबार का बढ़ेगा वक्त

वहीं, मार्केट रेपो और ट्री-पार्टी रेपो (TREP) में कारोबार का समय भी बढ़ाया जा रहा है। पहले यह कारोबार दोपहर 2:30 से 3:00 बजे तक होता था, लेकिन अब इसे शाम 4 बजे तक करने का प्रस्ताव है। साथ ही, इसके निपटान की समय सीमा को भी शाम 6:30 बजे तक बढ़ाने की योजना है।

विदेशी निवेशकों के लिए देर रात तक ट्रेडिंग

सरकारी बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेशकों को अब देर रात तक कारोबार करने की सुविधा मिलेगी। वे अब रात 11:30 बजे तक भारतीय सरकारी बॉन्ड (G-secs) में खरीद-बिक्री कर सकेंगे। इस कदम का लक्ष्य विदेशी निवेश को आकर्षित करना है।https://bazaarbits.com/rr-kabel-share-price-jump-q4-results-expansion-2025/

LAF नीलामी अब सुबह जल्दी

लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) के तहत नीलामी अब सुबह 9:30 बजे से शुरू होगी। इससे बैंकों को धन की उपलब्धता जल्दी हो जाएगी, जिससे वे अपने नकदी प्रबंधन को बेहतर ढंग से कर पाएंगे।

बदलाव की आवश्यकता: 24×7 लेनदेन और वैश्विक परिदृश्य

लेकिन, यह बदलाव आखिर क्यों ज़रूरी है? आजकल लेनदेन 24 घंटे चलते रहते हैं, जैसे कि UPI। ऐसे में बैंकों और म्यूचुअल फंड्स को अपने कैश फ्लो को संभालने के लिए ज़्यादा समय की ज़रूरत महसूस हो रही थी। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों को अलग-अलग समय क्षेत्रों के कारण होने वाली असुविधा को दूर करना भी ज़रूरी था, ताकि वे भारतीय बॉन्ड बाजार में आसानी से निवेश कर सकें, जिससे बाजार में तरलता और मांग बढ़ेगी। बड़े बैंक, जैसे SBI, और म्यूचुअल फंड्स इन बदलावों से ज़्यादा लाभान्वित होंगे, क्योंकि उन्हें कारोबार करने में अधिक लचीलापन मिलेगा।

चुनौतियां भी हैं

हालांकि, इन बदलावों को लागू करना इतना भी आसान नहीं है। छोटे बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए विस्तारित घंटों का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उन्हें अपने IT सिस्टम, कर्मचारियों और साइबर सुरक्षा में अधिक निवेश करने की आवश्यकता होगी। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सभी क्षेत्रों में बदलाव नहीं किए गए हैं। विदेशी मुद्रा और डेरिवेटिव बाजारों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, क्योंकि उन्हें पहले से ही 24×5 या पर्याप्त माना जा रहा है।

आगे क्या होगा?

अब आगे क्या होगा? RBI ने 30 मई तक इस पर सुझाव मांगे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर अंतिम समय सारणी तय करेगा। RBI की ये सिफारिशें भारतीय वित्तीय बाजारों को अधिक वैश्विक और कुशल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यदि इन्हें सही तरीके से लागू किया जाता है, तो इससे बैंकों, निवेशकों, म्यूचुअल फंड्स और विदेशी निवेशकों सहित सभी को फायदा होगा।

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