Richmont earnings report: स्विट्जरलैंड की मशहूर लक्ज़री कंपनी रिचमोंट (Richemont), जो कार्टियर जैसे हाई-एंड ब्रांड्स की मालिक है, ने हाल ही में उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजे पेश किए हैं। वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद अमीर उपभोक्ताओं की ओर से लग्ज़री प्रोडक्ट्स की मजबूत मांग बनी रही, जिससे कंपनी के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
मार्च 2025 तक समाप्त तिमाही में रिचमोंट का कुल राजस्व साल-दर-साल आधार पर 7% की बढ़त के साथ 5.17 अरब यूरो (लगभग 5.79 अरब डॉलर) तक पहुंच गया। कंपनी के ये नतीजे विश्लेषकों के अनुमान से बेहतर साबित हुए। इस खबर के सामने आने के बाद शुक्रवार सुबह लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी के शेयरों में 7.1% की तेजी आई और वे यूरोपीय इंडेक्स Stoxx 600 के टॉप पर पहुंच गए।
ज्वैलरी डिवीजन रहा ग्रोथ का इंजन
कंपनी की चौथी तिमाही में सबसे अधिक योगदान इसके ज्वैलरी सेगमेंट से आया, जिसमें कार्टियर, वैन क्लीफ एंड अर्पेल्स और बुकेल्लाटी जैसे ब्रांड शामिल हैं। इस डिवीजन में दो अंकों की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई, जिससे रिचमोंट के समग्र कारोबार को बल मिला। पूरे वित्तीय वर्ष की बात करें तो कंपनी की कुल बिक्री 4% बढ़कर 21.4 अरब यूरो तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है।https://bazaarbits.com/gold-silver-price-drop-18-may-2025/
घड़ियों के कारोबार में आई सुस्ती, एशिया-पैसिफिक बना वजह
हालांकि, कंपनी के वॉच सेगमेंट, जिसमें पियागेट और रोजर डुब्यूस जैसे नाम शामिल हैं, को इस बार झटका लगा है। इस कैटेगरी की बिक्री में गिरावट आई है, जिसके पीछे एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में मांग में आई कमी को जिम्मेदार माना जा रहा है। खासतौर पर चीन में बिक्री में 23% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे कंपनी को इस मार्केट से तगड़ा झटका लगा। हालांकि बाकी क्षेत्रों, जैसे यूरोप और अमेरिका, में सकारात्मक प्रदर्शन बना रहा।
भविष्य की चुनौतियों के बीच ग्रोथ की उम्मीद
रिचमोंट के चेयरमैन जोहान रूपर्ट ने कहा कि कंपनी का प्रदर्शन कुल मिलाकर संतोषजनक रहा और इसका श्रेय खासतौर पर ज्वैलरी डिवीजन और रिटेल ऑपरेशन्स को जाता है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मौजूदा वैश्विक अस्थिरता को देखते हुए व्यवसाय में अनुशासन और लचीलापन बनाए रखना अनिवार्य होगा।
दूसरी ओर, बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च ने रिचमोंट के सामने आने वाली तीन प्रमुख चुनौतियों का ज़िक्र किया है—सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव, अमेरिकी टैरिफ, और फॉरेन करेंसी की अस्थिरता। हालांकि बैंक के विश्लेषकों का मानना है कि रिचमोंट की मूल्य निर्धारण क्षमता (प्राइसिंग पॉवर) उसे इन स्थितियों से उबरने में मदद कर सकती है।
इस प्रदर्शन से यह साफ है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद प्रीमियम ब्रांड्स की मांग बनी हुई है, और रिचमोंट जैसे लक्ज़री समूहों के लिए उच्च वर्ग की खर्च करने की क्षमता अब भी ग्रोथ का मुख्य आधार बनी हुई है।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।