Rupee Vs Dollar: रुपये में बड़ी गिरावट, डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर 86 के पार पहुंचा

Rupee Vs Dollar: भारतीय मुद्रा रुपये की हालत बुधवार को काफी कमजोर दिखाई दी। विदेशी मुद्रा बाजार में कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 40 पैसे तक लुढ़क गया और दिन का सबसे निचला स्तर छू गया। इस गिरावट के बाद एक डॉलर की कीमत 86 रुपये के पार पहुंच गई, जो निवेशकों और […]

Dollar vs Rupee: भारतीय रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 12 पैसे मजबूत होकर 88.04 पर पहुँचा, निवेशक भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर नजरें गड़ाए हुए।

Rupee Vs Dollar: भारतीय मुद्रा रुपये की हालत बुधवार को काफी कमजोर दिखाई दी। विदेशी मुद्रा बाजार में कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 40 पैसे तक लुढ़क गया और दिन का सबसे निचला स्तर छू गया। इस गिरावट के बाद एक डॉलर की कीमत 86 रुपये के पार पहुंच गई, जो निवेशकों और व्यापारियों के लिए चिंता का कारण बन सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक रुपये में यह गिरावट कई वैश्विक और घरेलू कारणों की वजह से आई है। अमेरिकी डॉलर में मजबूती, कच्चे तेल की ऊंची कीमतें और विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी निकासी जैसे कारकों ने रुपये पर दबाव बनाया है। साथ ही, डॉलर इंडेक्स में मजबूती और अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावनाएं भी रुपये की कमजोरी के प्रमुख कारण हैं।

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विदेशी निवेशक कर रहे हैं पैसा बाहर

हाल के सप्ताहों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयर बाजार से बड़ी मात्रा में पैसा निकाल रहे हैं। इससे न केवल शेयर बाजार बल्कि रुपये पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। विदेशी निवेशकों द्वारा निकासी से भारतीय करेंसी की मांग घटती है, जिससे उसका मूल्य गिरता है।

कच्चे तेल की कीमतों का भी असर

मध्य-पूर्व में जारी तनाव और सप्लाई बाधाओं के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए जब तेल महंगा होता है तो भारत का आयात बिल बढ़ता है और रुपये पर दबाव बढ़ता है।

क्या निवेशकों के लिए यह मौका है?

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि रुपये की मौजूदा कमजोरी कुछ निवेशकों के लिए अवसर बन सकती है। खासकर वे निवेशक जो विदेशी बाज़ारों या एक्सपोर्ट आधारित कंपनियों में पैसा लगाते हैं, उन्हें इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि, सामान्य निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और लंबी अवधि के नजरिए से ही निर्णय लेना बेहतर होगा।

आगे क्या है संभावनाएं?

अगर विदेशी फंड की निकासी जारी रही और कच्चे तेल की कीमतें ऊंची बनी रहीं, तो निकट भविष्य में रुपया और कमजोर हो सकता है। हालांकि, सरकार और रिजर्व बैंक समय-समय पर रुपये की स्थिरता के लिए कदम उठाते रहे हैं, और यदि जरूरी हुआ तो हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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