US Tariff: रूस के विदेश मंत्री का बयान, अमेरिका के दबाव भारत और चीन पर काम नहीं आए

US Tariff: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में कहा कि अमेरिका द्वारा भारत और चीन पर टैरिफ के ज़रिए दबाव बनाने की कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। उनका मानना है कि अमेरिका अब धीरे-धीरे समझने लगा है कि प्राचीन सभ्यताओं के साथ ऐसी धमकियां प्रभावी नहीं होतीं। यह भी पढ़ें: Ramky […]

US Tariff: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका की टैरिफ धमकियां भारत और चीन पर असर नहीं कर रही

US Tariff: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में कहा कि अमेरिका द्वारा भारत और चीन पर टैरिफ के ज़रिए दबाव बनाने की कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। उनका मानना है कि अमेरिका अब धीरे-धीरे समझने लगा है कि प्राचीन सभ्यताओं के साथ ऐसी धमकियां प्रभावी नहीं होतीं।

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टैरिफ दबाव और उसके परिणाम

लावरोव ने बताया कि जब देशों पर टैरिफ का दबाव डाला जाता है, तो ये देश नए बाजार और ऊर्जा स्रोत खोजने के लिए मजबूर होते हैं। इसके साथ ही उन्हें अधिक कीमतें चुकानी पड़ती हैं, जिससे केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं बल्कि नैतिक और राजनीतिक विरोध भी उत्पन्न होता है। उनका कहना था कि इस तरह की परिस्थितियों में केवल आर्थिक कठिनाइयों से अधिक, देशों में असंतोष और विरोध उभरता है।

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बीजिंग-वॉशिंगटन और नई दिल्ली-वॉशिंगटन संपर्क

उन्होंने यह भी कहा कि बीजिंग-वॉशिंगटन और नई दिल्ली-वॉशिंगटन के बीच जारी संपर्कों से स्पष्ट हो रहा है कि अमेरिकी पक्ष इस वास्तविकता को समझ चुका है। अमेरिका अब समझता है कि टैरिफ के दबाव से लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं है और इसे लागू करने पर केवल अनचाहे परिणाम सामने आते हैं।

पर नए प्रतिबंधों पर लावरोव की प्रतिक्रिया

लावरोव ने रूस पर नए प्रतिबंधों के मुद्दे पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि उन्हें इससे कोई चिंता नहीं है, क्योंकि अमेरिका ने ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान पहले ही रूस पर व्यापक प्रतिबंध लगा दिए थे। लावरोव ने बताया कि बाइडन प्रशासन के तहत लगाए गए नए प्रतिबंध केवल कूटनीतिक प्रयासों की जगह ले रहे हैं और इसमें किसी समझौते की कोशिश नहीं दिखाई देती।

वैश्विक रणनीति और देशों की स्वतंत्रता

रूस के विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका की नीति का असर केवल अल्पकालिक हो सकता है, क्योंकि दबाव और धमकियों के बजाय देशों की रणनीति और सहयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उनका मानना है कि भारत और चीन जैसी विकसित और स्थिर अर्थव्यवस्थाएं ऐसी धमकियों से डरने वाली नहीं हैं और वे अपने हितों के अनुसार कदम उठा रही हैं।

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