SBI Mutual Fund: एसबीआई म्यूचुअल फंड, जो भारत का सबसे बड़ा म्यूचुअल फंड है और लगभग 3 ट्रिलियन रुपये के डेट एसेट्स का प्रबंधन करता है, अब अल्ट्रा-लॉन्ग ड्यूरेशन वाले बॉन्ड में निवेश करने से बच रहा है। यह कदम उस समय आया है जब सरकार ने 30-50 साल के बॉन्ड की आपूर्ति कम कर दी और 5 साल और 10 साल के बॉन्ड के आवंटन को बढ़ाया।
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अल्ट्रा-लॉन्ग बॉन्ड में निवेश से दूरी
SBI म्यूचुअल फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर राजीव राधाकृष्णन ने कहा कि अल्ट्रा-लॉन्ग बॉन्ड में कमजोर मांग और संरचनात्मक चुनौतियों के कारण निवेश करना फिलहाल जोखिम भरा है। उन्होंने इसे अस्थायी समाधान बताया और कहा कि लंबी अवधि वाले बॉन्ड में तरलता की कमी और निवेशकों की प्राथमिकताओं में बदलाव ने इस फैसले को मजबूर किया है।
सरकारी बॉन्ड की आपूर्ति और मांग का असंतुलन
फंड मैनेजर ने यह भी बताया कि पेंशन और इंश्योरेंस फंड्स ने अपने निवेश का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी में लगा दिया है, जिससे लंबी अवधि के बॉन्ड में निवेश की मांग कम हो गई है। साथ ही कर नियमों में बदलाव से भी डेट फ्लो पर असर पड़ा है। यही कारण है कि SBI म्यूचुअल फंड अब 5 और 10 साल के सरकारी बॉन्ड को प्राथमिकता दे रहा है।
तरल और आकर्षक सेगमेंट में निवेश
SBI म्यूचुअल फंड का फोकस सबसे तरल (Liquid) सेगमेंट पर है। इसके अलावा 1-3 साल के कॉर्पोरेट बॉन्ड को आकर्षक माना जा रहा है क्योंकि इनमें अच्छे स्प्रेड, पर्याप्त तरलता और संतुलित आपूर्ति मौजूद है। राजीव राधाकृष्णन का मानना है कि यह सेगमेंट निवेशकों के लिए सुरक्षित और लाभदायक विकल्प है।
आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।


