Sovereign Gold Bond Scheme: 5 साल में पैसा डबल, सुरक्षित निवेश का सबसे भरोसेमंद विकल्प

Sovereign Gold Bond Scheme: भारत सरकार द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) 2020-21 सीरीज़ VI ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। यह बॉन्ड 8 सितंबर 2020 को ₹5,117 प्रति ग्राम की दर से जारी हुआ था और अब अग्रिम मोचन मूल्य (Premature Redemption Price) ₹10,610 प्रति यूनिट तय किया गया है। यानी जिन्होंने पांच […]

Gold Price Today: MCX पर सोना ₹1,32,000 और चांदी ₹1,70,000 पार, तेजी जारी

Sovereign Gold Bond Scheme: भारत सरकार द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) 2020-21 सीरीज़ VI ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। यह बॉन्ड 8 सितंबर 2020 को ₹5,117 प्रति ग्राम की दर से जारी हुआ था और अब अग्रिम मोचन मूल्य (Premature Redemption Price) ₹10,610 प्रति यूनिट तय किया गया है। यानी जिन्होंने पांच साल पहले इसमें निवेश किया था, उनका पैसा अब दोगुना हो चुका है।

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कैसे तय हुआ मोचन मूल्य?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस बार का रिडेम्पशन मूल्य 3 से 5 सितंबर 2025 के बीच सोने की औसत कीमत के आधार पर घोषित किया। जिन निवेशकों ने 6 सितंबर 2025 की रिडेम्पशन विंडो का फायदा उठाया, उन्हें पूंजीगत लाभ के साथ-साथ पूरे होल्डिंग पीरियड के दौरान 2.5% वार्षिक ब्याज भी मिला।

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आगे क्या विकल्प हैं निवेशकों के पास?

इस सीरीज़ की मौजूदा रिडेम्पशन विंडो अब बंद हो चुकी है। ऐसे में जिन निवेशकों ने बाहर निकलने का विकल्प नहीं चुना, उन्हें या तो अगली रिडेम्पशन तिथि का इंतजार करना होगा या फिर इस बॉन्ड को इसकी पूरी 8 साल की परिपक्वता अवधि (maturity period) तक होल्ड करना होगा।

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना का उद्देश्य

यह योजना साल 2015 में शुरू की गई थी, ताकि फिजिकल गोल्ड की बढ़ती मांग को कम किया जा सके और निवेशकों को सोने में सुरक्षित और ब्याज वाला विकल्प दिया जा सके। शुरुआत से अब तक इस योजना के तहत सरकार ने 67 ट्रांच में कुल 146.96 टन सोना जुटाया है, जिसकी वैल्यू करीब ₹72,275 करोड़ है।

सोने की कीमतों में उछाल का असर

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में बताया कि वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के कारण सोने की कीमतों में लगातार मजबूती आई है। इसका सीधा असर सरकार की उधारी लागत (borrowing cost) पर भी पड़ रहा है। यही वजह है कि नई किस्त (tranche) जारी करने से पहले सरकार इसकी लागत का विश्लेषण कर रही है।

निवेशकों के लिए क्या सबक है?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का यह उदाहरण बताता है कि लंबे समय तक होल्ड करने पर निवेशकों को बेहतरीन रिटर्न मिल सकता है। पारंपरिक सोना खरीदने की तुलना में इसमें सुरक्षित स्टोरेज और ब्याज का अतिरिक्त फायदा भी जुड़ता है। हालांकि, सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भू-राजनीतिक माहौल और डॉलर की चाल पर निर्भर रहती हैं। ऐसे में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से घबराने के बजाय निवेशकों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

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