FPI Investment: विदेशी निवेशकों की IPO में धमाकेदार वापसी, लेकिन सेकेंडरी मार्केट से अब भी दूरी

FPI Investment: वित्त वर्ष 2024-25 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय शेयर बाजार में आईपीओ के एंकर निवेशों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एंकर निवेश के रूप में करीब 26,508 करोड़ रुपये लगाए, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। इस तेज़ उछाल के […]

FPI Investment in Indian IPOs – विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की IPO में बड़ी वापसी, जबकि सेकेंडरी मार्केट बिकवाली के दबाव में रहा

FPI Investment: वित्त वर्ष 2024-25 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय शेयर बाजार में आईपीओ के एंकर निवेशों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एंकर निवेश के रूप में करीब 26,508 करोड़ रुपये लगाए, जो कि पिछले वर्षों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। इस तेज़ उछाल के बाद आईपीओ एंकर निवेश में उनकी हिस्सेदारी बढ़कर 46% हो गई है, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह केवल 35% थी।

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दिलचस्प बात यह है कि यही विदेशी निवेशक इसी दौरान 1.3 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली सेकेंडरी मार्केट में कर चुके हैं। यानी जहां वे पहले से सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर बेच रहे हैं, वहीं नई लिस्टिंग वाले शेयरों में बड़े पैमाने पर पूंजी लगा रहे हैं।

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घरेलू संस्थानों की भी मजबूत मौजूदगी

विदेशी फंड्स के साथ-साथ घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भी आईपीओ में एंकर के तौर पर अपनी भागीदारी बढ़ाई है। वित्त वर्ष 2024-25 में घरेलू संस्थानों ने लगभग 30,709 करोड़ रुपये लगाए। इनमें से सबसे बड़ी हिस्सेदारी म्यूचुअल फंड्स की रही, जिन्होंने करीब 21,740 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं, बीमा कंपनियों ने भी 5,098 करोड़ रुपये बतौर एंकर निवेश डाले।

सेकेंडरी मार्केट से दूरी क्यों बना रहे हैं विदेशी निवेशक?

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशक मौजूदा शेयर बाजार की ऊंची कीमतों और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते सतर्क बने हुए हैं। भू-राजनीतिक तनाव, आयात-निर्यात पर लगने वाले संभावित टैरिफ, और अमेरिकी ब्याज दरों की दिशा जैसे कारक उनके निवेश व्यवहार को प्रभावित कर रहे हैं। यही वजह है कि सेकेंडरी मार्केट में वे भारी बिकवाली कर रहे हैं।

आईपीओ क्यों आकर्षित कर रहे हैं निवेशकों को?

विश्लेषकों के अनुसार, आईपीओ निवेशकों के लिए दो बड़े अवसर लेकर आते हैं। पहला – कंपनियों के विकास के शुरुआती चरण में प्रवेश करने और लंबे समय तक ऊंचे रिटर्न कमाने की संभावना। दूसरा – कई बार आईपीओ में ऐसे बिज़नेस मॉडल उपलब्ध होते हैं जो बाजार में पहले से मौजूद विकल्पों से अलग और विशिष्ट होते हैं। साथ ही, इन कंपनियों के शेयर शुरुआती मूल्यांकन पर तुलनात्मक रूप से सस्ते मिल जाते हैं।

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