Suzlon Energy Share: CRISIL और ICRA ने बढ़ाई रेटिंग, क्या अब शेयर में दिखेगा तेज़ी का ट्रेंड?

Suzlon Energy Share: सुजलॉन एनर्जी को दो प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों CRISIL और ICRA की ओर से रेटिंग अपग्रेड मिला है। कंपनी ने बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई फाइलिंग में यह जानकारी दी। अपग्रेड ऐसे समय में आया है जब कंपनी की बैलेंस शीट पर सुधार के संकेत मिल रहे हैं, और पवन […]

Suzlon Energy Share को मिला CRISIL और ICRA से A+ रेटिंग अपग्रेड, निवेशकों को उम्मीद तेज़ी की

Suzlon Energy Share: सुजलॉन एनर्जी को दो प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों CRISIL और ICRA की ओर से रेटिंग अपग्रेड मिला है। कंपनी ने बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई फाइलिंग में यह जानकारी दी। अपग्रेड ऐसे समय में आया है जब कंपनी की बैलेंस शीट पर सुधार के संकेत मिल रहे हैं, और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में नए ऑर्डर्स की स्थिति मजबूत दिख रही है।

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CRISIL और ICRA ने किस तरह की रेटिंग दी?

CRISIL ने Suzlon की कुल बैंक ऋण सुविधा को ₹5,685 करोड़ आंका है, जो पहले ₹3,050 करोड़ थी। लॉन्ग टर्म रेटिंग को ‘CRISIL A’ से बढ़ाकर ‘CRISIL A+ / Stable’ कर दिया गया है। वहीं शॉर्ट टर्म रेटिंग ‘CRISIL A1’ रही।

ICRA की ओर से कंपनी को ₹2,635 करोड़ की कुल बैंक सुविधा पर ‘[ICRA]A+ (Stable)’ लॉन्ग टर्म और ‘[ICRA]A1’ शॉर्ट टर्म रेटिंग मिली है।

बेहतर रेटिंग से कंपनी को क्या फायदा हो सकता है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस रेटिंग अपग्रेड के बाद Suzlon को बैंकों से कर्ज लेने पर ब्याज दर कम हो सकती है। साथ ही, कंपनी को नई परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने में भी आसानी होगी। पवन ऊर्जा क्षेत्र में कंपनी की ऑर्डर बुक लगातार मजबूत हो रही है, और यह वित्तीय स्थिरता के लिए अच्छा संकेत माना जा रहा है।

स्टॉक पर दबाव, शेयरहोल्डिंग में बदलाव

रेटिंग अपग्रेड के बावजूद हालिया ट्रेडिंग सत्रों में Suzlon का शेयर प्रदर्शन कमजोर रहा है। एक हफ्ते में स्टॉक करीब 7% टूटा है, जबकि एक महीने में यह 10% नीचे आया है।

प्रमोटर होल्डिंग भी घटकर मार्च की 13.29% से जून तिमाही में 11.74% हो गई है। वहीं एफआईआई की हिस्सेदारी 19.57% से बढ़कर 23.03% हो गई है, जो बाजार में उनकी बढ़ती रुचि का संकेत है।

निवेशकों के लिए क्या है रणनीति?

रेटिंग में सुधार से कंपनी की वित्तीय स्थिति बेहतर मानी जा रही है। बैलेंस शीट की सफाई, ऋण में कटौती और बढ़ती ऑर्डर बुक कंपनी को लंबी अवधि में मजबूती दे सकते हैं। हालांकि, पावर सेक्टर से जुड़े रेगुलेटरी रिस्क, कैश फ्लो दबाव और वोलाटिलिटी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। निवेशकों को लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण से और उचित मूल्यांकन पर ही निवेश का निर्णय लेना चाहिए।

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