Dollar Decline: गुरुवार को विदेशी मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर दबाव में रहा। इसके पीछे बड़ी वजह बनी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति पर अदालतों में चल रही कानूनी लड़ाई, जिसने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी न्यायालय ने ट्रंप प्रशासन की कुछ प्रमुख टैरिफ योजनाओं को अवैध करार दे दिया, जिससे बाजार में अनिश्चितता फैल गई।
हालांकि देर रात वॉशिंगटन डीसी स्थित यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स ने ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ पर अस्थायी राहत देते हुए उन्हें फिर से लागू कर दिया है। कोर्ट ने ज्यादा विस्तार में गए बिना याचिकाकर्ताओं से 5 जून तक और प्रशासन से 9 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इस फैसले के बावजूद डॉलर में खास उछाल नहीं देखने को मिला।Nikita Papers IPO अलॉटमेंट स्टेटस जारी | GMP शून्य, लिस्टिंग 3 जून को
इस पूरी स्थिति ने डॉलर को अस्थिर बना दिया है, और निवेशक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में टैरिफ नीति का क्या रूप होगा और उसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा। जब तक नीति को लेकर स्पष्टता नहीं आती, तब तक विदेशी मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।
प्रशासन की सफाई और निवेशकों की चिंता
ट्रंप सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने अदालत के फैसले को ज्यादा गंभीर मानने से इनकार किया है। उनके मुताबिक, टैरिफ लगाने के लिए अब भी कई वैकल्पिक कानूनी रास्ते खुले हैं। न्यूयॉर्क स्थित फाइनेंशियल फर्म जेफरीज के विशेषज्ञ ब्रैड बेचटेल का कहना है कि सिर्फ एक आपातकालीन प्रावधान प्रभावित हुआ है, बाकी उपाय अब भी सरकार के पास मौजूद हैं।
लेकिन निवेशक ज्यादा निश्चिंत नहीं हैं। उनका मानना है कि बार-बार बदलती टैरिफ नीतियों से अर्थव्यवस्था की स्थिरता प्रभावित हो सकती है, जिससे विकास दर धीमी पड़ने और महंगाई बढ़ने का जोखिम है। इसके अलावा, नीति में अस्थिरता विदेशी निवेशकों का भरोसा भी कमजोर कर सकती है।
डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राएं
बाजार की हलचल का असर विदेशी मुद्राओं पर साफ दिखाई दिया। यूरो ने डॉलर के मुकाबले 0.73% की बढ़त हासिल की और 1.1374 डॉलर पर पहुंच गया। वहीं जापानी येन के मुकाबले डॉलर 0.57% गिरकर 143.99 पर बंद हुआ।
📉 बेरोजगारी के आंकड़े और आर्थिक संकेत
डॉलर में कमजोरी की एक और वजह अमेरिका में बेरोजगारी से जुड़े नए आंकड़े रहे। हाल ही में जारी रिपोर्ट में नई बेरोजगारी दर में अनुमान से ज्यादा वृद्धि देखने को मिली, जिससे अंदेशा है कि व्यापारिक तनाव के चलते कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर सकती हैं।
ट्रंप का दबाव और फेड की नीति
एक बंद कमरे में हुई बैठक में ट्रंप ने फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल से ब्याज दरें न घटाने को “भूल” बताया। वहीं, फेड की तरफ से साफ किया गया कि वर्तमान ब्याज दरें महंगाई के अनुसार उचित हैं और भविष्य की दरें आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर रहेंगी।
बजट संकट और संभावित कर्ज
साथ ही, अमेरिकी संसद में टैक्स कटौती और नए खर्चों को लेकर एक बड़ा बिल भी चर्चा में है, जिससे आने वाले दस वर्षों में अमेरिका का कर्ज एक ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है। इस पर रिपब्लिकन नेताओं ने भी खर्च में कटौती न करने को लेकर नाराज़गी जताई है।
व्हाइट हाउस के बजट निदेशक ने बताया कि एलन मस्क की टीम द्वारा सुझाए गए सरकारी खर्च कम करने के कुछ प्रस्ताव अगले सप्ताह कांग्रेस के सामने पेश किए जाएंगे।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।