Moody’s Downgrade 2025: दुनियाभर में आर्थिक नीतियों को लेकर हो रही हलचल के बीच, अमेरिका की वित्तीय सेहत को एक बड़ा झटका लगा है। प्रसिद्ध रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने अमेरिका की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया है, जो अब तक दुनिया की सबसे भरोसेमंद अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता रहा है। एजेंसी ने अमेरिका की रेटिंग को “Aaa” से घटाकर “Aa1” कर दिया है।
यह फैसला अमेरिका के बढ़ते कर्ज और घाटे की चिंताओं के चलते लिया गया है। अमेरिका पर मौजूदा समय में करीब 36 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है, और उसका फिस्कल डेफिसिट भी लगातार बढ़ रहा है। मूडीज़ का कहना है कि सरकार और कांग्रेस दोनों ही इन समस्याओं से निपटने में असफल रहे हैं, जिससे अब अमेरिका की वित्तीय साख पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
इतिहास में पहली बार मूडीज़ ने घटाई अमेरिका की रेटिंग
साल 1919 से अब तक मूडीज़ अमेरिका को टॉप ग्रेड “Aaa” देता आ रहा था, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि इस पर भरोसे में कमी आई है। इस रेटिंग कटौती के साथ अब अमेरिका की स्थिति को लेकर तीनों बड़ी रेटिंग एजेंसियों में चिंता का समान रुख देखने को मिला है।https://bazaarbits.com/japan-economy-slowdown-gdp-drop-2025/
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से न सिर्फ अमेरिका के भीतर बल्कि वैश्विक निवेशकों में भी भरोसे की कमी हो सकती है। खासकर राष्ट्रपति ट्रंप की नई नीतियों पर इसकी सीधी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
ट्रंप सरकार की टैरिफ नीति और बढ़ते खर्च सवालों के घेरे में
डोनाल्ड ट्रंप ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद बजट को संतुलित करने और सरकारी खर्चों में कटौती की बात कही थी। उनके वित्त मंत्रालय ने भी कुछ योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन अब तक इनका प्रभाव नजर नहीं आया है। एलन मस्क के नेतृत्व में चल रहे मंत्रालय ने खर्च घटाने की जो कोशिशें की थीं, वे अपेक्षित परिणाम नहीं दे सकीं।
इसके अलावा, विदेशी उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ से अमेरिका को फायदा मिलने की जगह वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई है। इससे बाजारों में भी अस्थिरता देखी जा रही है, और मंदी की आशंकाएं गहराती जा रही हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों की चेतावनी
रेटिंग में गिरावट की खबर सामने आने के बाद व्हाइट हाउस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया दी गई। सरकार ने इस कदम को राजनीतिक बताया और मूडीज़ के प्रमुख अर्थशास्त्री मार्क ज़ैंडी पर निशाना साधा। हालांकि ज़ैंडी इस पर टिप्पणी करने से बचते नजर आए।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के बॉन्ड यील्ड्स में इस खबर के बाद उछाल आया है, और सोमवार को जब बाजार खुलेंगे, तो इसका प्रभाव शेयर बाज़ार पर भी दिख सकता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े प्रोफेसर और मूडीज़ के पूर्व बोर्ड सदस्य डैरेल डफी ने कहा कि अब अमेरिका को या तो अपने राजस्व में वृद्धि करनी होगी या खर्चों को सख्ती से सीमित करना होगा।
भारतीय बाजारों पर भी इसका असर संभव है, क्योंकि विदेशी निवेशक अमेरिका की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर भारत में पूंजी लगाते हैं।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।