US-India Trade War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त 2025 से सभी भारतीय आयात पर 25% आयात शुल्क लागू कर दिया है। यही नहीं, 6 अगस्त से अतिरिक्त 25% शुल्क भी जोड़ दिया गया। यह कदम भारत के रूस के साथ जारी व्यापारिक रिश्तों को लेकर उठाया गया है। इस घोषणा के तुरंत बाद वैश्विक और घरेलू बाजारों में जोरदार हलचल देखी गई।
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कीमती धातुओं में तेजी
निवेशकों में सुरक्षित निवेश (सेफ हेवन) की तलाश बढ़ने से सोने की कीमत 8 अगस्त को अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। चांदी ने भी हाल के दिनों के ऊपरी स्तर के पास मजबूती दर्ज की। मुद्रा अवमूल्यन की आशंका और वैश्विक अनिश्चितताओं ने इन धातुओं की मांग को और बढ़ा दिया।
जेम्स एंड ज्वेलरी सेक्टर पर खतरा
हीरे और आभूषण का कारोबार भारत से अमेरिका को होने वाले सबसे बड़े निर्यात क्षेत्रों में से एक है। बढ़े हुए शुल्क के कारण इस उद्योग पर सीधा असर पड़ने की आशंका है। निर्यात लागत बढ़ने से अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा कमजोर हो सकती है।
ऊर्जा बाजार में गिरावट
इसके विपरीत, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों में तेज गिरावट आई। निवेशकों को आशंका है कि शुल्क के चलते वैश्विक मांग कम होगी और आपूर्ति का दबाव बढ़ेगा। रूस से ऊर्जा उत्पादों के आयात पर अप्रत्यक्ष असर भी बाजार की धारणा को कमजोर कर रहा है।
बेस मेटल में उतार-चढ़ाव
तांबा, एल्युमिनियम, जिंक और सीसा जैसे बेस मेटल्स में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला। एक तरफ निर्यात घटने की संभावना है, वहीं दूसरी तरफ घरेलू मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। इस द्वंद्व ने ट्रेडिंग सत्रों में दामों को ऊपर-नीचे करने का सिलसिला जारी रखा।
रुपये की कमजोरी
विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रुपया भारी दबाव में आ गया और डॉलर के मुकाबले लगभग ₹88 प्रति डॉलर के स्तर के पास पहुंच गया। यह रुपये के इतिहास में सबसे कमजोर स्तरों में से एक है। व्यापार घाटे के बढ़ने और पूंजी निकासी की आशंकाओं ने रुपये को और कमजोर किया।
सरकार की रणनीति
भारत सरकार ने इस समय सीधे प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने के बजाय व्यापारिक बातचीत और ढांचागत सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने का संकेत दिया है। साथ ही, सरकार नए बाजार तलाशने और निर्यात में विविधता लाने की योजना पर काम कर रही है। इसमें यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों में व्यापार बढ़ाने की संभावनाओं का अध्ययन शामिल है।
निवेशकों के लिए संदेश
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। कीमती धातु और कुछ घरेलू उपभोग आधारित सेक्टर सुरक्षित निवेश विकल्प माने जा रहे हैं, जबकि निर्यात-निर्भर उद्योगों में सावधानी बरतना उचित होगा। रुपये की दिशा और अमेरिका-भारत के बीच होने वाली बातचीत पर सभी की नजरें टिकी हैं।

आरव भारद्वाज भारतीय शेयर बाज़ार और व्यवसाय जगत से जुड़ी ख़बरों का गहन विश्लेषण करते हैं। उन्हें वित्तीय रुझानों, IPO अपडेट्स और निवेश रणनीतियों पर लेखन का ठोस अनुभव है। BazaarBits पर उनका उद्देश्य निवेशकों तक विश्वसनीय और सटीक जानकारी पहुँचाना है।